नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और सरकार के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है. हालांकि बुधवार को सरकार ने बयान जारी करके मामले को संभालने की कोशिश जरूर की. वित्त मंत्रालय ने कहा है, रिजर्व बैंक की आजादी जरूरी है. सरकार उसकी स्वायत्तता का सम्मान करती है. रिजर्व बैंक और सरकार दोनों जनहित का काम करें. दोनों के बीच समय-समय पर चर्चा होती रहती है.'' कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि सरकार के हस्तक्षेप से नाराज आरबीआई गर्वनर उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं.
क्या है धारा 7 जिसे लेकर है विवाद?
ऐसा कहा जा रहा है कि सरकार RBI एक्ट की धारा 7 का इस्तेमाल कर सकती है. RBI एक्ट की धारा 7 लागू होने के बाद सरकार करीब-करीब हर मुद्दे पर रिजर्व बैंक को निर्देश दे सकती है और उसे ये मानना ही होगा. धारा 7 के दो हिस्से हैं, पहला सलाह-मशविरा करना, दूसरा दिशा-निर्देश जारी करना यानी अगर धारा 7 लागू होती है तो फिर RBI भी सरकार ही चलाएगी.
कैसे सामने आई सराकर और आरबीआई की तनातनी?
सरकार और आरबीआई के इस विवाद का पता तब चला जब 26 अक्टूबर को RBI के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने एक लेक्चर में रिजर्व बैंक की स्वायत्ता को लेकर सरकार पर सवाल उठा दिये थे. विरल आचार्य ने कहा था कि सरकार आरबीआई की आजादी का सम्मान नहीं करेगी तो बाजार की नाराजगी झेलनी पड़ेगी.
रिजर्व बैंक और सरकार में क्यों है तनातनी?
सरकार 2014 तक दिए गए अंधाधुंध कर्ज पर आरबीआई से नाराज है. सरकार चाहती है कि यस बैंक, बंधन बैंक, इक्विटास, उज्जीवन जैसी कंपनियों पर सख्ती ना की जाए. सरकार चाहती है पावर कंपनियों के लोन को एनपीए घोषित करने में रियायत बरती जाए जबकि रिजर्व बैंक इसके पक्ष में नहीं है.
सरकार चाहती है कि गिरते रुपये को थामने के लिए आरबीआई कदम उठाए. सरकार और आरबीआई की तनातनी पर राजनीति भी हो रही है. रिजर्व बैंक ही बैंकों की नीतियां तय करता है और इस उलझन के बीच बैंक भी असमंजस में हैं.
रघुराम राजन ने भेजी सरकार को भेजी थी NPA घोटालेबाजों की लिस्ट: RTI
इस बीच एक आरटीआई से खुलासा हुआ है कि पूर्व गवर्नर रुघराम राजन ने सरकार को चिट्ठी लिखकर बड़े घोटालेबाज़ों के बारे में जानकारी दी थी. आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने बताया कि राजन ने यह चिट्ठी 4 फरवरी 2015 को लिखी थी. हालांकि पीएमओ की ओर से इस बात की जानकारी देने से मना कर दिया कि राजन की चिट्ठी पर क्या एक्शन लिया गया.