नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से कल दिल्ली के ताज होटल में इफ्तार पार्टी दी गई. इस पार्टी में कांग्रेस की तरफ से सभी विपक्षी दलों को आमंत्रित किया गया था, बावजूद इसके विपक्ष के किसी बड़े नेता ने पार्टी में शिरकत नहीं की. यूपी चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन करने वाले सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी राहुल के बुलावे पर नहीं आए.


नहीं आए विपक्ष के बड़े चेहरे मायावती और अखिलेश


इस इफ्तार पार्टी में मायावती की बीएसपी समेत सिर्फ 10 दलों के नेताओं ने शिरकत की, लेकिन अखिलेश यादव और मायावती नदारद रहीं. समाजवादी पार्टी का तो कोई भी नेता इफ्तार पार्टी में नहीं पहुंचा. बड़ी बात यह है कि अपने एक बयान में अखिलेश यादव ने खुद इस पार्टी में शरीक होने की बात कही थी.


राहुल गांधी की इफ्तार पार्टी में कौन-कौन नेता पहुंचे?




  • कनिमोझी, डीएमके

  • सीताराम येचुरी, सीपीएम

  • हेमंत सोरेन, जेएमएम

  • सतीश मिश्रा, बीएसपी

  • डीपी त्रिपाठी, एनसीपी

  • बदरुद्दीन अजमल, एआईयूडीएफ

  • शरद यादव, बीटीपी

  • दिनेश त्रिवेदी, टीएमसी

  • दानिश अली, जेडीएस

  • मनोज झा, आरजेडी


कर्नाटक में लगा था विपक्षी दलों का हुजूम


बता दें कि कर्नाटक में जिस दिन जेडीएस के कुमार स्वामी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब पूरा विपक्ष एक मंच पर दिखाई दिया था. बीएसपी प्रमुख मायावती और अखिलेश यादव भी शपथ समारोह में पहुंचे थे. इस दौरान सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने एक साथ मंच से अपनी एकता दिखाई थी, तब ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि यही फ्रेम लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी देखने को मिल सकता है. लेकिन इफ्तार जैसे अहम मौकों से समाजवादी पार्टी की दूरी गठबंधन की संभावनाओं पर सवाल खड़े करते हैं.


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कांग्रेस नहीं, बसपा के साथ जमा सपा का गठबंधन


ध्यान रहे की पिछले साल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने बीजेपी को मात देने के लिए गठबंधन किया था. इस चुनाव में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी 403 में से मात्र 48 और कांग्रेस सात सीटों पर सिमट गई थी. उसके बावजूद सपा और कांग्रेस बार-बार कहती रही की हम आगे के चुनावों में साथ रहेंगे. लेकिन सूबे में सियासी समीकरण बदले. सपा ने बीएसपी से गठबंधन का ऐलान किया. यह प्रयोग सफल रहा.


उपचुनाव में कांग्रेस-बीजेपी के खिलाफ लड़ा सपा-बसपा गठबंधन


बीजेपी या कहें की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ में बीएसपी और समाजवादी पार्टी ने विजय परचम लहराया. गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली. दोनों ही सीटों पर कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार खड़े किये थे. कांग्रेस कहीं नहीं ठहरी. इसके बाद कैराना और नूरपुर उपचुनाव में बीएसपी, समाजवादी पार्टी और आरएलडी साथ आई. कांग्रेस ने दोनों ही सीटों पर विपक्षी दलों के उम्मीदवारों का समर्थन किया. बीजेपी कैराना और नूरपुर सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. दोनों ही सीटें पहले बीजेपी के पास थी. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी अभी से तैयार है. वहीं विपक्षी दल बीजेपी को मात देने के लिए लगातार बातचीत कर रहे हैं.


राहुल का चेहरा अस्वीकार्य!


कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने जब कहा कि वह प्रधानमंत्री बन सकते हैं. यह अखिलेश के लिए स्वीकार करना मुश्किल था. उन्होंने तब एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा था कि चुनाव के बाद ही तय होगा की प्रधानमंत्री कौन होगा. दरअसल अखिलेश तीसरा ऑप्शन संयुक्त मोर्चा का खुला रखना चाहते हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दबे स्वर में संयुक्त मोर्चा को हवा दे रही हैं. यानि की कांग्रेस के नेतृत्व में चुनाव न लड़ें. सभी विपक्षी दल साथ आएं उसमें कांग्रेस शामिल हो.


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