नई दिल्ली: कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी दलों के नेताओं के जुटान से तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने दूरी बना ली है. ऐसा नहीं है कि केसीआर कुमारस्वामी से नहीं मिलेंगे. वह आज कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू पहुंच कर कुमारस्वामी से मुलाकात करेंगे और देर रात तक वापस तेलंगाना लौट जाएंगे. दरअसल केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ चंद्रशेखर राव 'तीसरे मोर्चे' का गठन चाहते हैं. साफ है वह कांग्रेस के साथ भी मंच साझा नहीं करना चाहते हैं. उनकी एक और परेशानी है, वह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू के साथ भी नहीं दिखना चाहते हैं. इसकी वजह तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की स्थानीय राजनीति है.


कुमारस्वामी बुधवार को शपथ लेंगे. इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, मायावती, तेजस्वी यादव समेत विपक्षी दलों के बड़े चेहरे मौजूद रहेंगे. दरअसल, कर्नाटक से विपक्षी दल एकजुटता का संदेश देना चाहती है. ताकि 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दी जा सके.


कुमारस्वामी की शपथ में दिखेगा मोदी के खिलाफ मोर्चा, सोनिया-राहुल सहित दिखेंगे ये बड़े नेता


कांग्रेस चाहती है कि उसके नेतृत्व में विपक्षी दल साथ आए. जबकि टीएमसी और चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस तीसरे मोर्चे का गठन चाहती है. जिसमें कांग्रेस शामिल हो. हालांकि कर्नाटक में सजने वाले कल के मंच पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि मैं सिर्फ वहां कुमारस्वामी को बधाई देने जा रहा हूं.


अखिलेश यादव ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत करते हुए कहा, ''मैं मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. सुप्रीम कोर्ट का आभार जताना चाहता हूं और वहां अपने मित्रों से मिलुंगा. अब इसका संदेश क्या होगा? इस चर्चा में अभी नहीं पड़ने वाला. कुमारस्वामी को बधाई देने जा रहे हैं. चुनाव के दौरान देवगौड़ा जी से बात हुई थी. यह नहीं समझना चाहिए की यह राजनीतिक मंच तैयार हो रहा है.''


आपको बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है. चुनाव परिणाम के बाद राज्य में राजनीतिक संकट जैसी स्थिति बन गई थी. राज्यपाल ने कांग्रेस-जेडीएस की अधिक सीटें होने के बावजूद बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने के लिए न्योता दिया था. येदुरप्पा ने उसके बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. चुनाव परिणाम के बाद बने जेडीएस और कांग्रेस गठबंधन पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गई. जहां से उसे राहत बड़ी राहत मिली. उसके बाद येदुरप्पा ने फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा दे दिया.


अब कांग्रेस-जेडीएस राज्य में सरकार बनाएगी. जेडीएस की कम सीटें होने के बावजूद कांग्रेस ने सियासी मजबूरी में जेडीएस के नेता कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री प्रत्याशी चुना है. कोर्ट को विधानसभा में जीत से कांग्रेस अधिक उत्साहित है. वह इसी बहाने 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को चुनौती देने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करना चाहती है. अब वह कितना सफल रहती है यह आने वाला वक्त बताएगा.


राहुल के पीएम की उम्मीदवारी पर अखिलेश का दो टूक- 'चुनाव के बाद सब कुछ तय होगा'