नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन बिल पर केंद्र सरकार का समर्थन देने के फैसले के खिलाफ अब उनकी ही पार्टी जनता दल यूनाइटेड में आवाज उठने लगी है. पहले जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पार्टी द्वारा इस बिल को समर्थन देने को लेकर सवाल उठाया तो अब पार्टी के वरिष्ट नेता पवन वर्मा ने नीतीश से फैसले पर दोबारा सोचने की अपील की है.
क्या कहा पार्टी नेताओं ने
प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर पार्टी के इस फैसले पर अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने लिखा, “जेडीयू के नागरिकता संशोधन विधेयक को समर्थन देने से निराश हुआ. यह विधेयक नागरिकता के अधिकार से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है. यह पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता जिसमें धर्मनिरपेक्ष शब्द पहले पन्ने पर तीन बार आता है. पार्टी का नेतृत्व गांधी के सिद्धांतों को मानने वाला है.”
वहीं उनके बाद पार्टी के पुराने नेता पवन वर्मा ने कहा,'' नागरिकता संशोधन विधेयक JDU के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ होने के अलावा, असंवैधानिक, भेदभावपूर्ण और देश की एकता और सद्भाव के खिलाफ है. गांधी जी ने इसका कड़ा विरोध किया होता.'' उन्होंने ट्वीट किया,'' मैं नीतीश जी से निवेदन करता हूं कि इस बिल के समर्थन के फैसले पर राज्यसभा में दोबारा विचार करें.''
दरअसल, पिछले साल दिसंबर महीने की ही बात है. जेडीयू के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नीतीश ने करीब 45 मिनट तक नागरिकता बिल के खिलाफ पार्टी के अंदर बात कही थी. पार्टी के नेताओं को समझाया था कि यह बिल किस तरह असंवैधानिक है और यह देश के हित में नहीं है. इस बैठक के बाद प्रशांत किशोर और राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी को नॉर्थ ईस्ट राज्यों के दलों ने संपर्क साधने को भेजा गया. असम जाकर इन दोनों नेताओं ने बातचीत की और नीतीश का उन्हें समर्थन देने की बात कही. उस जेडीयू ने उस वक्त लोक सभा में विरोध किया था जिस वजह से सरकार ने यह बिल राज्य सभा में पेश नहीं किया था. नीतीश अभी तक एनआरसी और नागरिकता बिल के खिलाफ रहे थे पर अचानक ऐसा क्या हुआ जो नीतीश ने स्टैंड बदल दिया.
बता दें कि लोकसभा में पारित होने के बाद नागरिकता (संशोधन) विधेयक अब बुधवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. मोदी सरकार को लोकसभा में भारी बहुमत प्राप्त है लेकिन उच्च सदन में विवादास्पद कानून आने पर बुधवार को संख्या का खेल थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है.