मुंबई: अविश्वास प्रस्ताव के बाद शिवसेना की ओर से उपजे अविश्वास के बीच अमित शाह ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर मुंबई में बैठक की. अमित शाह ने बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं से साफ-साफ कहा कि वह महाराष्ट्र में अकेले दम पर लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी करें. बीजेपी अध्यक्ष शाह लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुटे हुए हैं. महाराष्ट्र उन राज्यो में हैं जहां बीजेपी के लिए विकट परिस्थितियां बनी हुई है. सबसे पुराने सहयोगी शिवसेना के साथ तनातनी कम होने का नाम नहीं ले रही है.


अमित शाह ने रविवार को दोपहर से शाम तक मैराथन बैठकें की. पार्टी विस्तारकों के अलावा लोकसभा टोली के साथ बैठकें की. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इन बैठकों में साफ कर दिया कि सूबे की सभी 48 लोकसभा चुनाव सीटों पर अकेले लड़ने की तैयारी करें.


सूत्रों के मुताबिक शाह ने बैठक में कहा, ''गठबंधन को लेकर जो भी परिस्थितियां बने, हमें उसके लिए तैयार रहना चाहिए. हमें अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी रखनी है. पार्टी गठबंधन पर आखिरी फैसला लेगी. हर बूथ पर हमें चार बाइक सवार कार्यकर्ता तैयार करने हैं. ऐसे 1 लाख बूथों पर चार लाख बाइक सवार कार्यकर्ता तैयार करें.''


मतलब साफ है बीजेपी शिवसेना को लेकर आशंकित है और इसलिए अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी रखना चाहती है. मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर तो तेलगुदेशम पार्टी (टीडीपी) लेकर लायी थी. लेकिन इस प्रस्ताव ने NDA के बीच अविश्वास की खाई को और गहरा कर दिया था.


2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 23 और शिवसेना ने 18 लोकसभा सीटें जीती थी. विधानसभा चुनाव आते-आते बीजेपी ने मोदी लहर के दम पर सालों पुराने गठबंधन में ज़्यादा सीटो की मांग की और दोनों पार्टी 25 साल बाद अलग-अलग चुनाव लड़ी. बीजेपी को 122 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल हुई और शिवसेना को 63 सीटों पर जीत हासिल हुई. हालांकि बाद में शिवसेना ने बीजेपी को समर्थन का एलान कर दिया और गठबंधन सरकार में शामिल भी हुई.


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तनातनी की बीच नगर निकाय के चुनाव में एक बार फिर शिवसेना और बीजेपी अलग-अलग चुनाव लड़ी. मुम्बई महानगरपालिका में शिवसेना ने 90 और बीजेपी ने 82 सीटों पर जीत हासिल की. फिर बीजेपी और शिवसेना ने गठबंधन किया. सरकार बनाने के लिए दोनों दल मिलते रहे लेकिन दिल नहीं मिल पाए. अविश्वास प्रस्ताव ने ये खाई और गहरी कर दी है. अमित शाह ने बीजेपी को अकेले चुनाव के लिए तैयार करने के लिए खाका भी खींचा.


शाह ने बैठक में कार्यकर्ताओ से कहा, ''सत्तापक्ष में है इसलिए हमारे सभी काम होंगे, ऐसी अपेक्षा न कि जाए.'' उन्होंने कहा कि 'एक बूथ 25 यूथ' के तहत विस्तारकों पर बूथ रचना और उनकी नियुक्तियों का जिम्मा सौंपा,बुथ सदस्य कमसे कम 5 परिवारों के संपर्क में रहे.


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-बूथ प्रमुख का व्हाट्सएप ग्रुप रहे, धार्मिक त्योहार और राष्ट्रीय कार्यक्रमो का आयोजन बुथ स्तर पर किया जाए लोगो को जोड़ा जाए. जो संपर्क में है उन मतदाताओं को मतदान के लिए बाहर निकाला जाए. कमसे कम 51% वोटिंग हर बूथ पर हो इसका ध्यान रखें. सरकारी योजनाओं को जनता तक पहुचायें, उसके लाभ लोगों तक पहुचायें.


दिए हुए काम निश्चित समय पर प्रमाणिकता के साथ किये तो हमें अन्य पार्टीयों पर गठबंधन के लिए निर्भर रहना नहीं पड़ेगा. साफ है कि अमित शाह एकला चलो की रणनीति पर काम कर रहे हैं, अगर शिवसेना से आखिरी वक्त पर गठबंधन टूटने की कगार पर आया तो, बीजेपी झुकेगी नहीं, तैयारी के साथ चुनाव मैदान में दो-दो हाथ करने के लिए तैयार रहेगी.