नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र खत्म हो चुका है. इस दौरान कई महत्वपूर्ण बिल पास हुए जिनमें सबसे खास सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है. इन सबके बीच संसद में इस बार एक ऐसा भी बिल पेश किया गया जो अगर पास हो जाता तो सरकारी या प्राइवेट कोई भी नौकरी करने वाले कर्मचारियों को बहुत बड़ी खुशखबरी मिलती. दरअसल, इस बिल में प्रावधान था कि कर्मचारी ऑफिस टाइम के बाद या छुट्टी पर रहने की स्थिति में बॉस या अपने सीनियर अधिकारी के फोन आने पर कॉल को डिसकनेक्ट कर सकेंगे.
इसे 'दी राइट टू डिसकनेक्ट बिल 2018' का नाम दिया गया था. संसद में इसे एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने पेश किया. उन्होंने इस बिल के माध्यम से एक एम्पलाई वेलफेयर ऑथोरिटी बनाने की भी मांग की जो कर्मचारियों के हक को सुरक्षित रख सकें. हालांकि, यह बिल संसद में पारित नहीं हो सका. इस बिल में प्रस्ताव था कि अगर कोई कर्मचारी छुट्टी पर रहने या ऑफिस ऑवर से बाहर रहने पर ऑफिस से आने वाले फोन को रिसीव नहीं करता है तो उन पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाएगी.
एम्पलाई के लिए जिस ऑथोरिटी के गठन की बात की गई थी उसमें आईटी मंत्रालय के राज्यमंत्री बोर्ड के प्रमुख होंगे और श्रम मंत्रालय और कम्यूनिकेशन मंत्रालय के राज्यमंत्री को बोर्ड का वाइस चेयरमैन बनाया जाता. इस ऑथोरिटी का काम होता कि वह रोजगार देने वाले और कर्मचारियों के बीच इस बिल के अनुरूप एक साल के अंदर एक चार्टर तैयार करता. बिल में कंपनी के द्वारा इस कानून का पालन नहीं करने वाले कंपनियों पर भारी जुर्माना का प्रावधान किया गया था.
कानून के उल्लंघन की स्थिति में कंपनियों पर सभी कर्मचारियों को दिए जाने वाले सैलरी का एक प्रतिशत जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया था. इसके बाद इस बिल में इस चीज का भी प्रावधान किया गया था जिसमें कर्मचारियों के बीच जागरूकता फैलाना, डिजिटल और कम्यूनिकेशन टूल के तार्किक इस्तेमाल आदि की बात की गई थी.
वर्तमान में फ्रांस दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां के कर्मचारियों को यह हक है कि वह ऑफिस ऑवर के बाद दफ्तर से आने वाले कॉल रिसीव न करें.
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