भारत जैसे देश में शादी को एक पवित्र और अटूट गठबंधन की तरह देखा जाता है. साथ ही इसे ऐसे रिश्ते के तौर पर देखा जाता है, जिसमें लड़का और लड़की पूरी जिंदगी को साथ निभाते हैं. हालांकि कई बार लड़के और लड़की के बालिग होने के बावजूद शादी के बीच जातिगत या धर्म संबंधी विवाद भी देखने को मिलता है, जिससे दोनों की शादी नहीं हो पाती है या शादी के पहले और बाद में कई तरह की सामाजिक अड़चनों का भी सामना करना पड़ता है. हालांकि देश में एक बालिग लड़का-लड़की को शादी करने को लेकर कई अधिकार भी मिले हैं.
क्या हैं अधिकार?
- अगर लड़की की उम्र 18 साल हो चुकी है और लड़का भी 21 साल का हो चुका है तो भारत में लड़के और लड़की को अपनी मर्जी से शादी करने का मौलिक अधिकार है.
- बालिग लड़का-लड़की, जिनकी मानसिक स्थिति ठीक हो, को शादी करने के लिए किसी की इजाजत की दरकार नहीं है.
- बालिग लड़का-लड़की को शादी करने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन के अधिकार के तहत आता है. इस अधिकार को कोई छीन नहीं सकता.
- अधिकारों के मुताबिक एक बालिग लड़का-लड़की अगर शादी करना चाहते हैं तो उनकी शादी में जाति, धर्म, क्षेत्र और भाषा जैसी चीजें बाधा नहीं बनती.
- वहीं अगर बालिग लड़का-लड़की की शादी में कोई अड़चन पैदा करता है या उन्हें रोकता है तो लड़का-लड़की संविधान के अनुच्छेद-226 के तहत हाईकोर्ट और अनुच्छेद-32 के तहत सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते है.
- वहीं लड़का-लड़की की शादी हो जाने के बाद अगर उन्हें अपने ही परिजनों से जान का खतरा है तो नवदंपति सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से सुरक्षा की मांग भी कर सकते हैं.
- देश में शादी के लिए कई कानून बनाए गए हैं. हिंदू मैरिज एक्ट, स्पेशल मैरिज एक्ट, फॉरेन मैरिज एक्ट और इंडियन क्रिश्चियन मैरिज एक्ट के अलावा भी कई कानून हैं. लड़का और लड़की इन कानूनों के तहत मर्जी से शादी कर सकता है.
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