नई दिल्लीः मशहूर गीतकार गोपालदास नीरज के निधन पर गहरा अफसोस जाहिर करते हुए प्रसिद्ध शायर राहत इंदौरी ने आज उन्हें "धर्मनिरपेक्ष" रचनाकार बताया और कहा कि उन्होंने हिंदू और उर्दू के मंचों पर सबके साथ ताजिंदगी मोहब्बत बांटी. राहत इंदौरी ने कहा, 'नीरज के बारे में सबसे बड़ी बात यह है कि वह जितने नामचीन हिन्दी कविता के मंचों पर थे, उन्हें उतनी ही शोहरत और मोहब्बत उर्दू शायरी के मंचों पर भी हासिल थी.'


उन्होंने कहा, "नीरज एक सेकुलर (धर्मनिरपेक्ष) हिंदुस्तानी के साथ एक सेकुलर शायर भी थे. हमारे यहां आजकल दिक्कत यह हो गयी है कि हिन्दी कविता के मंचों पर अधिकतर कवि हिंदू हो जाते हैं और उर्दू मुशायरों में ज्यादातर शायर मुसलमान हो जाते हैं. लेकिन नीरज ऐसे कतई नहीं थे और हर मंच पर सबके साथ हमेशा मोहब्बत बांटते थे." 68 वर्षीय शायर ने कहा, "नीरज कविता का एक पूरा युग थे. लोगों ने आधी सदी से भी ज्यादा उन्हें कविता पढ़ते सुना है और जिंदगी के प्रति उनके फलसफे को समझा है."


उन्होंने कहा, "नीरज का निधन काव्य जगत का एक ऐसा नुकसान है जिसकी भरपाई हो ही नहीं सकती. मैं प्रार्थना करूंगा कि उन्हें स्वर्ग में स्थान मिले." यादों के गलियारों में कदम रखते हुए इंदौरी ने कहा, "वह मेरे बेहद करीबी दोस्त थे और मुझसे बहुत स्नेह करते थे. मैंने उनके साथ न जाने कितने मंचों पर कविता पाठ किया है.


कवि गोपालदास नीरज के निधन के बाद आधुनिक कवि डॉ कुमार विश्वास ने कहा कि राष्ट्रकवि दिनकर ने उन्हें हिंदी की वीणा कहा था ! वाचिक परंपरा के वे एक ऐसे सेतु थे जिस पर चलकर, महाप्राण निराला, पंत, महादेवी, बच्चन, दिनकर, भवानी प्रसाद मिश्र की पीढ़ी के श्रोता मुझ जैसे नवाँकुरों तक सहज ही पहुंच सके ! अंग्रेज़ी, सँस्कृत, उर्दू और हिंदी में उनकी समान्तर गति थी ! लय के प्रबल संवाहक, गीत की अहर्निश गंगोत्री के नवल भगीरथ, भाषा के निरंतर परिमार्जन और अभिवृद्धि के गेय शिल्पी महाकवि पद्मश्री, पद्मभूषण डॉ गोपालदास नीरज ने तिरानवें साल की पूर्णकाम आयु में शरीर की चदरिया समेट कर प्रतीक्षारत वैकुंठ की गलियों को गुंजरित कर ही दिया ! हज़ारों गीत, लाखों रुबाइयां, सैकड़ों शेर और असंख्य शब्द अपनी भीगी पलकों से उनकी इस कल्पना जैसी जीवन-यात्रा का पूर्ण-चरण निहार रहे हैं ! मेरे मन-मस्तिष्क में उनके सानिध्य में गुज़रे हज़ारों मंच, यात्राएं, किस्से तैर रहे हैं ! मैं उन्हें "गीत-गन्धर्व" कहता था ! जैसे किसी सात्विक उलाहने के कारण स्वर्ग से धरा पर उतरा कोई यक्ष हो !


यूनानी गठन का बेहद आकर्षक गठा हुआ किन्तु लावण्यपूर्ण चेहरा, पनीली आँखें, गुलाबी अधर, सुडौल गर्दन, छह फुटा डील-डौल, सरगम को कंठ में स्थायी विश्राम देने वाला मंद्र-स्वर, ये सब अगर भाषा के खांचे में डाल कर सम्मोहन की चाँदनी में भू पर उतरे तो जैसे नीरज जी कहलाए ! हज़ारों रातों की जगार अपनी पलकों पर सजाये गीत-गंधर्व नीरज ने देश-विदेश के हिंदी प्रेमियों को कवि सम्मेलन का श्रोता बनाया ! कवि सम्मेलनों पर नीरज जी का यह स्थायी ऋण है ! मृत्यु के दूत से संवाद का उनका लोकप्रिय गीत "ऐसी क्या बात है चलता हूं अभी चलता हूं ! गीत एक और ज़रा झूम के गए लूं तो चलूं !" हर रोज़ सुना ,पर शायद इस बार यमराज ने कोई बहरा-संवेदनाहीन दूत भेज दिया ! लेकिन शायद मृत्यु के दूत भूल गए कि नीरज को ले जाने वालों नीरज गीतों में ज़िंदा है ! अंतिम प्रणाम पूर्वज!



कारवां गुजर गया: कवि गोपालदास नीरज का 94 साल की उम्र में निधन