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देश में तेज़ी से बढ़ रहे कोरोना के मामले, दूसरी वेव में इन राज्यों में पॉजिटिविटी दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा

पिछले साल जुलाई में केस बढ़ना शुरू हुए, सितंबर के महीने में कोरोना केस का पीक आया. इसके बाद नए मामलों में गिरावट शुरू हुई. फरवरी के महीने तक केस कम थे, लेकिन उसके बाद से बढ़ना शुरू हो गए.

नई दिल्ली: भारत मे कोरोना की दूसरी वेव आ चुकी है. हर दिन कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. भारत के कुछ राज्यों में लगातार केस बढ़ रहे हैं. साथ ही राज्यों में वीकली पाजिटिविटी रेट भारत की औसत रेट से ज्यादा है. खुद केंद्र सरकार ने कहा कि हालात खराब और चिंताजनक हैं.

पिछले 24 घंटो में भारत मे 56 हज़ार 211 नए संक्रमण के मामले सामने आए और 271 लोगों की संक्रमण से जान जा चुकी है. देश में संक्रमित मरीजों की संख्या 1 करोड़ 20 लाख 95 हज़ार 855 पहुंच गई है, जिसमें से 1 करोड़ 13 लाख 93 हज़ार 21 लोग ठीक हो चुके हैं. वहीं 1 लाख 62 हज़ार 114 लोगों की मौत हो चुकी है. देश में अभी 5 लाख 40 हज़ार 720 एक्टिव केस हैं, जिनका इलाज चल रहा है. ये आंकड़े डराने वाले हैं. भारत में जहां पिछले कुछ दिनों पहले तक संक्रमण के नए मामलों और मौत में कमी आई थी, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. एक बार फिर साल 2020 जैसे हालात होते जा रहे हैं. जिसको लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी चिंता जाहिर की है.

नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल ने कहा, "स्तिथि लगातार खराब होते जा रही है, बेहद चिंता का विषय है." ऐसा इसलिए क्योंकि फरवरी तक नए मामले कम हो चुके थे, लेकिन उसके बाद से तेज़ी से और लगातार मामले बढ़ रहे हैं. हम आपको आंकड़ों के जरिये समझाते हैं कि आखिर हालात क्यों चिंताजनक हैं.

- 3 जुलाई 2020 पूरे देश में 20 हज़ार 903 नए मामले सामने आए थे - 8 अगस्त 2020 को देश में 61 हज़ार 537 नए मामले रिपोर्ट हुए - 13 सिंतबर को देश मे 94 हज़ार 372 नए मामले आए - 21 दिसम्बर को 24 हज़ार 337 नए मामले रिपोर्ट हुए - 4 फरवरी 2021 को 12 हज़ार 899 नए कोरोना संक्रमण के केस रिपोर्ट हुए - 30 मार्च 2021 को 56 हज़ार 211 नए मामले रिपोर्ट हुए है

यानी पिछले साल जुलाई में केस बढ़ना शुरू हुए, सितंबर के महीने में कोरोना केस का पीक आया. इसके बाद नए मामलों में गिरावट शुरू हुई. फरवरी के महीने तक केस कम थे, लेकिन उसके बाद से बढ़ना शुरू हो गए. महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में पिछले कुछ दिनों में नए मामलों में तेजी आई, वहीं वीकली पॉजिटिविटी रेट भी बढ़े हैं.

- महाराष्ट्र में फरवरी के दूसरे हफ्ते में औसत 3 हज़ार 51 नए मामले रिपोर्ट हो रहे थे और 32 लोगों की संक्रमण से मौत हो रही थी, जो मार्च के आखिरी हफ्ते में बढ़कर 34 हज़ार 456 नए केस और 118 मौतों तक जा पहुंची.

- इसी तरह पंजाब में फरवरी के दूसरे हफ्ते में औसत 240 नए मामले रिपोर्ट हुए और 8 लोगों की संक्रमण से मौत. जो मार्च के आखिरी हफ्ते में बढ़कर 2 हज़ार 742 नए केस और 52 मौतें हो गईं.

- कर्नाटक में भी फरवरी के दूसरे हफ्ते में औसत 399 नए मामले रिपोर्ट हो रहे थे और 4 लोगों की संक्रमण से मौत. जो मार्च के आखिरी हफ्ते में बढ़कर 2 हज़ार 594 नए केस और 11 मौतें हो गईं.

- छत्तीसगढ़ में भी ऐसे ही हालात हैं. फरवरी के दूसरे हफ्ते में औसत 226 नए मामले हर दिन रिपोर्ट हो रहे थे और 5 लोगों की संक्रमण से मौत. जो मार्च के आखिरी हफ्ते में बढ़कर 2,263 नए केस और 19 मौतें हो गईं.

- गुजरात के हालात भी बाकियों की तरह हैं. फरवरी के दूसरे हफ्ते में औसत 260 नए मामले रिपोर्ट हो रहे थे और 1 व्यक्ति की संक्रमण से मौत हो रही थी. जो मार्च के आखिरी हफ्ते में बढ़कर 2,067 नए केस और 7 मौतें हो गईं.

- मध्य प्रदेश में जहां फरवरी के दूसरे हफ्ते में औसत 180 नए मामले रिपोर्ट हो रहे थे और 2 लोगों की संक्रमण से मौत हो रही थी. जो मार्च के आखिरी हफ्ते में बढ़कर 1,990 नए केस और 8 मौतें हो गईं.

- तमिलनाडु में फरवरी के दूसरे हफ्ते में औसत 473 नए मामले रिपोर्ट हो रहे थे और 5 लोगों की संक्रमण से मौत हो रही थी, जो मार्च के आखिरी हफ्ते में बढ़कर 1,912 नए केस और 11 मौतें हो गईं.

वहीं कुछ राज्यों में वीकली पॉजिटिविटी रेट भारत की औसत से कई ज्यादा हैं. भारत की औसत पॉजिटिविटी रेट 5.65% है, जबकि इन राज्यों की उससे ज्यादा.

- महाराष्ट्र की 23.44%, पंजाब की 8.82%, छत्तीसगढ़ 8.24% और मध्य प्रदेश की 7.82% वीकली पाजिटिविटी रेट है.

साफ है कि हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं. भारत में काफी वक़्त तक लगातार कोरोना संक्रमण के मामलों में गिरावट देखी, लेकिन अब फिर से मामले बढ़ रहे हैं. इसको लेकर केंद्र सरकार लगातार राज्य सरकारों से संपर्क के हैं. हाल में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 12 राज्यों के साथ बैठक की, जिसके 46 जिलों में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं.

इसको लेकर शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव और नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य ने इन राज्य के स्वास्थ्य सचिव और सबसे ज्यादा प्रभावित 46 जिलों के जिला कलेक्टरों और म्युनिसिपल कमिश्नर के साथ बैठक की. इस महीने इन 46 जिलों में 71% नए संक्रमण के मामले और 69% संक्रमण से मौत हुई है. 12 वो राज्य जिनके 46 जिले सबसे प्रभावित है वो राज्य हैं- महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, पंजाब और बिहार.

कोरोना के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए और सभी चीज़ों को ध्यान में रखते हुए एक फाइव फोल्ड स्ट्रैटजी अपनाने के लिए राज्यों को सलाह दी गई.

- ज्यादा से ज्यादा कोरोना के टेस्ट के लिए आरटी पीसीआर टेस्ट किए जाएं. वहीं एंटीजन टेस्ट क्लस्टर एरिया और घनी आबादी वाले क्षेत्र में इस्तेमाल हो.

- वहीं किसी के पॉजिटिव पाए जाने पर अगले 72 घंटो में उस शख्स के संपर्क आए लोगों को ट्रेस करना और टेस्ट करना. वहीं आइसोलेशन पर खास ध्यान देना. इसके अलावा माइक्रो कन्टेनमेंट जोन तय कर सर्विलांस करना.

- सार्वजनिक और निजी अस्पताल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना. वहीं संक्रमण से होने वाली मौतों को रोकना.

- बाजारों, अंतर-राज्यीय बस स्टैंडों, स्कूलों, कॉलेजों, रेलवे स्टेशनों जैसी भीड़-भाड़ वाले जगहों पर कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जाए. जन जागरूकता अभियानों के माध्यम से कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर सुनिश्चित करना.

- सबसे महत्वपूर्ण कोरोना वैक्सीन को बढ़ाना होगा. ज्यादा से ज्यादा प्रायोरिटी ग्रुप का टीकाकरण हो ये राज्य सरकारों को सुनिश्चित करना होगा. वहीं इसको बढ़ाने के लिए निजी और सरकारी दोनो इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करें.

भारत में कोरोना संक्रमण से ठीक होने की दर यानी रिकवरी रेट 94.19% है, जबकि मृत्यु दर 1.34% है.

देश में फिर बढ़ रहा कोरोना का ग्राफ, इन 10 ज़िलों में हैं संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले

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