(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Kashmir: कॉरपोरेट लाइफ छोड़ पहुंची कश्मीर, बनाई ट्रैवल कंपनी... पढ़िए रितिका गर्ग की कहानी
Jammu Kashmir: कश्मीर को भारत का स्विटजरलैंड कहा जाता है. बर्फ से घिरी वादियां, हरी भरी घास और फूलों से महकती इस घाटी का आनंद हर कोई लेना चाहता है. इसी मकसद से रितिका भी कश्मीर पहुंची थी.
Ritika Garg Story: कश्मीर... भारत का वो अभिन्न हिस्सा जिसकी खूबसूरती के चर्चे दुनियाभर में हैं. कश्मीर घाटी ने अनादि काल से ही यात्रियों को आकर्षित किया है और ये सिलसिला अब भी जारी है. जब कश्मीर के आखिरी संप्रभु शासक, सम्राट यूसुफ शाह चक ने 16वीं शताब्दी में फूलों की घाटी की खोज की तो इसकी सुंदरता से मंत्रमुग्ध होकर उन्होंने इसका नाम गुलमर्ग रखा. जिसका मतलब होता है फूलों का मैदान.
लगभग 500 साल बाद, उसी फूलों और घास के मैदान ने एक युवा महिला की कल्पना को अभिभूत कर दिया है, जिसने गुलमर्ग को फिर से खोजने के लिए एक बेहद आकर्षक कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ दी. इस महिला का नाम है रितिका गर्ग जो सिर्फ 29 साल की हैं. वैसे तो रितिका के पास मुंबई में एक अच्छी खासी नौकरी थी और वो पेशे से सीए रहीं. उन्होंने मल्टीनेशनल बैंक के साथ काम किया और 6 डिजिट की सैलरी भी पाती थीं. इसी दौरान वो कश्मीर में घूमने के मकसद से घाटी में पहुंची और उनका दिल यहीं का होकर रह गया.
क्या कहना है रितिका का?
इस घटना को याद करते हुए रितिका कहती हैं, ''कश्मीर के बारे में मीडिया में नेगेटिव रिपोर्ट्स आती थीं, ऐसे में परिवार और दोस्त यहां आने के लिए मना करते थे लेकिन साल 2021 में एक सप्ताह के लिए मैंने कश्मीर आने का फैसला किया और अगले 6 महीने के लिए कश्मीर में रह गई.'' इसके बाद स्थानीय लोगों के स्वाभाव से प्रभावित होकर रितिका ने अपनी कॉरपोरेट नौकरी छोड़ दी और इसी साल के आखिरी में स्थाई रूप से कश्मीर में बसने का मन बना लिया. फिर रितिका ने हाई ऑन ट्रिप नाम से एक छोटी सी ट्रैवल कंपनी खोली. इस ट्रैवल कंपनी की खासियत ये है कि कंपनी केवल महिला यात्रियों को तवज्जो देती है.
रितिका बताती हैं कि कश्मीर का सबसे अच्छा हिस्सा नेचुरल ब्यूटी तो है ही इसके साथ-साथ यहां के लोगों का स्वभाव भी इसका अभिन्न अंग है. इसी स्वभाव के कारण ही पाया कि ये देश की सबसे सुरक्षित जगहों में से एक है. वो आगे कहती हैं, ''मैं चाहती थी कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं कश्मीर आएं. खासतौर पर वो महिलाएं जो अकेले घूमना पसंद करती हैं.'' फिलहाल रितिका स्कीयिंग में खेलो इंडिया विंटर गेम्स के तीसरे संस्करण में भाग ले रही हैं. इसके साथ ही वो महिला प्रतिभागियों को प्रशिक्षण देने का काम भी कर रही हैं.
वो कहती हैं, ''पिछले दो वर्षों में मैंने 35 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया है, जिनमें ज्यादातर 18-35 साल के वर्ग की एकल यात्री हैं और मुझे न केवल इस सीजन के लिए, बल्कि अगले सीजन के लिए भी बुक किया गया है. देश भर की महिलाएं अकेले ट्रैवल करने को लेकर उत्साहित हैं लेकिन थोड़ा सा सपोर्ट चाहिए जो मैं उन्हें मुहैया करा रही हूं.''
महिलाओं के लिए प्रेरणा
रितिका पिछली बातों को याद करते हुए कहती हैं, ''कश्मीर आने की कोई खास इच्छा नहीं थी, बस घूमने के मकसद से कश्मीर पहुंच गई लेकिन कश्मीर अब मेरा घर है. कश्मीर एक सबसे सुरक्षित जगह है जहां पर एक महिला आधी रात को भी घूम सकती है, अकेले यात्रा कर सकती है. अगर मीडिया रिपोर्ट्स नेगेटिव नहीं होती तो 2015 में ही कश्मीर पहुंच गई होती.''
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