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Delhi Floods: सदियों पुराना है दिल्ली और यमुना का रिश्ता... कभी हुआ करती थी लाल किले की शान, जानिए कैसे होती गई दूर

Yamuna River: दिल्ली में यमुना नदी का पानी फिर से उन जगहों पर बह रहा है जहां सदियों पहले बहा करता था. दिल्ली और यमुना का पुराना रिश्ता है जो समय के साथ बदलता गया.

Delhi Yamuna Red Fort History: देश की राजधानी में यमुना का जलस्तर बढ़ने से कई इलाकों में बाढ़ (Flood) की स्थिति पैदा हो गई है. कई दिनों की बारिश और हरियाणा के हथनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी के बाद यमुना बेकाबू होती चली गई. नदी के आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले सैकड़ों लोगों को निकाला जा चुका है. इसी के साथ यमुना का पानी फिर से वहां पहुंच गया जहां कभी सदियों पहले नदी बहा करती थी. जी हां, सालों पुराना दृश्य एक बार फिर जीवित हो उठा है. 

मुगल शहर शाहजहानाबाद की 19वीं शताब्दी की पेंटिंग्स में देखा जा सकता है कि एक तरफ लाल किला और दूसरी तरफ सलीमगढ़ किला और इनके बीच से यमुना नदी बहती थी. गुरुवार (13 जुलाई) को आई बाढ़ के दौरान फिर से ये दृश्य सबकी नजरों के सामने था. 

यमुना के जलस्तर ने तोड़ा 45 साल पुराना रिकॉर्ड

दिल्ली में अक्सर अपने प्रदूषण के लिए चर्चा में रहने वाली यमुना नदी का जलस्तर गुरुवार शाम को बढ़कर 208.66 मीटर हो गया था. जिससे 45 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया. 1978 में यमुना नदी का वाटर लेवल 207.49 मीटर तक पहुंचा था. दिल्ली में यमुना नदी का खतरे का निशान 205.33 मीटर पर है. 

गुरुवार को यमुना का जलस्तर बढ़ने से दिल्ली की सड़कों पर सैलाब आ गया. रिंग रोड जलमग्न हो गई, लाल किले और सलीमगढ़ किले की दीवारों पर पानी भर गया. कश्मीरी गेट, सिविल लाइंस, आईटीओ और राजघाट में भी पानी भर गया. दिल्ली में 1978 की बाढ़ के दौरान भी रिंग रोड और कई आवासीय इलाकों में पानी भर गया था. 

जहां बहा करती थी वहीं पहुंची यमुना

कभी लाल किले और सलीमगढ़ किले के पास से बहने वाली यमुना नदी का पानी एक बार फिर से वहीं पहुंच गया. सलीमगढ़ किला शेरशाह सूरी के बेटे सलीम शाह सूरी ने 1546 में बनवाया था. जबकि लाल किला 1648 में यमुना नदी के पश्चिमी तट पर बना था. मजहर अली खान ने दिल्ली के मुगल और पूर्व-मुगल स्मारकों की लगभग 130 पेंटिंग की एक एल्बम बनाई थी. 

लाल किले और यमुना का रिश्ता है पुराना

इस एल्बम में दोनों किलों के बीच से यमुना नदी बह रही है और एक पुल इन्हें जोड़ता था. इस पुल का निर्माण बहादुर शाह जफर के आदेश से ही किया गया था. दिल्ली में 14 गेट थे, जिनमें 'वाटर गेट' (यमुना द्वार) भी शामिल था, जिसे खिजरी दरवाजा भी कहते थे. ये सीधे नदी की ओर खुलता था. केवल दिल्ली गेट, कश्मीरी गेट, अजमेरी गेट, तुर्कमान गेट और निगमबोध गेट ही बचे हैं. लाहौरी दरवाजा, काबुली दरवाजा, लाल दरवाजा और खिजरी दरवाजा समेत बाकी बहुत पहले ही खत्म हो चुके हैं. 

खिजरी दरवाजे से लाल किले में आए थे शाहजहां 

शाहजहां सबसे पहले यमुना के रास्ते लाल किले में आये और उसके खिजरी दरवाजा से अपने नए घर में प्रवेश किया था. इतिहासकार राणा सफवी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जब लाल किले का उद्घाटन हुआ, तो शाहजहां ने खिजरी दरवाजे के माध्यम से यहां प्रवेश किया. जश्न मनाया जा रहा था और किला मोमबत्तियों से रोशन था. ये वही दरवाजा है जहां से बहादुर शाह जफर 17 सितंबर 1857 की रात को मुगल सल्तनत के दिल्ली से पतन के बाद निकले थे. 

धीरे-धीरे नदी ने बदला अपना रास्ता

यमुना किले की कई जरूरतों को पूरा करती थी. सफवी ने बताया कि नदी ने किले का स्थान चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ये न केवल एक बैरियर के रूप में काम करती थी बल्कि बढ़ती आबादी के लिए पानी की जरूरत को भी पूरा करती थी. जहां नदी बहती है वहां मौसम भी ज्यादा सुहावना होता है. बीते कई दशकों में नदी ने धीरे-धीरे अपना रास्ता बदल लिया. 

लेखक सोहेल हाशमी ने कहा कि यमुना को लाल किले की रक्षा करनी थी, लेकिन मुहम्मद शाह 'रंगीला' (शासनकाल 1719-48) के समय में ये दूर जाने लगी थी. हाशमी के अनुसार, जब देश की राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया, तो मूल रूप से कोरोनेशन पार्क क्षेत्र को नई इमारतों के लिए स्थान के रूप में सुझाया गया था, लेकिन 1911 के मानसून में कोरोनेशन पार्क-किंग्सवे कैंप क्षेत्र, सिविल लाइंस और मॉडल टाउन के कई हिस्सों में बाढ़ आ गई थी. जिसके बाद राजधानी को रायसीना हिल में स्थापित करने का निर्णय लिया गया.

क्यों लाल किले से दूर हुई यमुना?

INTACH के नेचुरल हैरिटेज डिवीजन के प्रमुख निदेशक मनु भटनागर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि देश के उत्तरी हिस्से में नदी के मार्ग में बदलाव असामान्य नहीं है. इसका एक कारण भारतीय टेक्टोनिक प्लेट का हिलना माना जाता है.

उन्होंने कहा कि प्लेट उत्तर की ओर बढ़ रही है. यही कारण है कि हिमालय बढ़ रहा है. यमुना के पूर्व की ओर बढ़ने का एक कारण यह भी माना जाता है. इसके अलावा, उत्तर भारत के एलुवियल प्लेन्स (जलौढ़ मैदान) में किसी नदी के मार्ग बदलने की संभावना ज्यादा होती है. उन्होंने कहा कि अगर हम 1786 से अब तक गंगा के मार्ग को देखें, तो ऐसे स्थान हैं जहां इसने अपना मार्ग 34 किमी तक बदल लिया है.

भटनागर ने कहा कि बदायूं (यूपी) में नदी जहां पहले थी, वहां से 10 किमी दूर चली गई है. नदी के किनारे कई स्थानों पर आपको घाट तो मिलेंगे, लेकिन पानी नहीं. आपको ऐसे कई पुल मिल सकते हैं जो कभी नदी पर बनाए गए थे, लेकिन अब वहां पानी नहीं है. क्योंकि नदी ने बाद में अपना रास्ता बदल लिया. 

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