बिहार: प्रेस कांफ्रेंस के बीच आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का अलग ही रूप देखने को मिला. उन्होंने गुस्से में सरकारी लेटर फाड़कर विरोध जताया. दरअसल बिहार पुलिस के विवादित चिठ्ठी को लेकर आरजेडी ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाया था. प्रेस कांफ्रेंस को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ब्रीफ कर रहे थे. इस दौरान तेजस्वी शुरू से ही नीतीश सरकार पर हावी दिखे. उन्होंने प्रवासियों को लेकर बिहार सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए.
तेजस्वी ने कहा, "बिहार के मुख्यमंत्री दो दिन पूर्व वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये रूबरू हुए थे. हमें आशा थी कि समस्या के निदान के लिए उपाय बताएंगे. मगर हुआ ठीक इसके उलट. जो श्रमवीर फंसे हुए थे सरकार ने उनको धोखा दिया. उनकी आंखों में धूल झोंकने का काम किया." तेजस्वी ने एडीजी की तरफ से जारी एक वायरल चिट्ठी पर भी निशाना साधा.
उन्होंने कहा कि इससे साफ हो गया है सरकार की मंशा ही नहीं थी प्रवासियों को लाने की. 29 मई की चिठ्ठी में लिखा गया है कि पिछले दो माह में प्रवासियों का भारी संख्या में आगमन हुआ है. सरकार उनके रोजगार के लिए प्रयास कर रही है. मगर उसके अथक प्रयास के बावजूद रोजगार की उम्मीद कम है और ऐसा होने से अपराध वृद्धि हो सकती है.
तेजस्वी के मुताबिक इस चिट्ठी में साफ कहा गया है कि इनके आगमन से अपराध बढ़ेगा. इसका मतलब है सरकार ने कुछ नहीं किया और ऊपर से यह चिठ्ठी अमानवीय है. इसके खिलाफ तेजस्वी ने 7 तारीख को थाली बजाकर विरोध करने का ऐलान किया. उन्होंने नीतीश कुमार के ट्वीट को दिखाते हुए सरकार पर गरीब विरोधी होने का आरोप लगाया. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार ने महामारी के समय विपक्ष की एक भी सलाह नहीं मानी. अगर सरकार उनकी सलाह लेती तो उपाय जरूर बताए जाते.
बिहार के लिए यह चुनावी साल है. ऐसे में सभी दल अपनी रणनीति तैयार करने में जुटे हैं. बिहार की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भी अपनी रणनीति तैयार कर आगे बढ़ रही है. तेजस्वी यादव पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि आगामी चुनाव प्रवासियों के मुद्दे पर लड़ा जाएगा. जाहिर है तेजस्वी इस मुद्दे को भुनाने में लगे हैं. ऐसे में एक सरकारी चिठ्ठी का पुलिस मुख्यालय से जारी किया जाना जिसमें प्रवासियों को राज्य के लिए खतरा बताया गया है, विपक्षी दल आरजेडी मौके को हाथ से कैसे जाने देती.