पटना: राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में शनिवार को बिहार बंद का आह्वान किया है. आरजेडी के इस बंद के आह्वान का अब भाकपा-माले, सीपीआई, सीपीएम और फारवर्ड ब्लाॅक नेताओं ने समर्थन किया है. साथ ही इन नेताओं ने 19 तारीख के आंदोलन में शामिल लोगों के ऊपर दर्ज किए गए मुकदमे को वापस लेने की नीतीश सरकार से मांग की है.
इस मसले पर भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, सीपीआई के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह, सीपीएम के राज्य सचिव अवधेश कुमार, फारवर्ड ब्लाॅक के अमेरिका महतो और आरएसपी नेता विरेन्द्र ठाकुर ने संयुक्त बयान जारी कर सीएए व एनआरसी के खिलाफ आगामी 21 दिसंबर को आरजेडी के बिहार बंद का समर्थन किया है. वाम नेताओं ने कहा कि सीएए के खिलाफ आज पूरा देश आंदोलित है. उन्होंने कहा कि 19 दिसंबर के ऐतिहासिक बिहार बंद के बाद बिहार में भी यह आंदोलन नई गति पकड़ चुका है.
वाम नेताओं ने 19 दिसंबर के बिहार बंद के दौरान प्रदर्शनकारी नेताओं पर मुकदमे थोपने की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार केंद्र की मोदी सरकार की तर्ज पर प्रदर्शनकारियों के दमन पर उतर गए हैं. इससे सीएए व एनआरसी के खिलाफ जारी आंदेालन रूकेगा नहीं, बल्कि वह और मजबूती हासिल करेगा. वाम नेताओं ने प्रदर्शनकारियों पर थोपे गए फर्जी मुकदमे को अविलंब वापस लेने की मांग की.
वाम नेताओं ने श्रम अधिकारों के सवाल पर मजदूर संगठनों द्वारा 8 जनवरी को आहूत राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का भी समर्थन किया है और बिहार की आम जनता से इसे ऐतिहासिक बनाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि इस हड़ताल में सीएए व एनआरसी को वापस लेने की मांग प्रमुखता से उठाई जाएगी. इन नेताओं ने कहा कि इस आयोजन को ऐतिहासिक बनाए जाने की जरूरत है ताकि कॉरपोरेट परस्त मोदी सरकार को पीछे धकेला जा सके.
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