अमित शाह को चिट्ठी लिखकर हनुमान बेनीवाल ने कहा- किसान कानून वापस हो, वरना NDA में रहने पर करना होगा विचार
एनडीए को समर्थन दे रहे बेनीवाल पार्टी से खुद अकेले सांसद हैं, इसलिए उनकी समर्थन वापस लेने की चेतावनी का केंद्र सरकार की मौजूदा स्तिथी पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा.
राजस्थान: केंद्र की एनडीए सरकार के घटक दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने तीन कृषि कानूनो के मुद्दे पर सख़्त रूख अपना लिया है. आरएलपी के राष्ट्रीय संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस मामले को लेकर एनडीए से समर्थन वापिस लेने तक की चेतावनी दे दी है.
पिछले कई दिनों से देश में चल रहे किसान आंदोलन को सीधा समर्थन देते हुए बेनीवाल ने गृह मंत्री अमित शाह को भेजी अपनी चिट्ठी में मांग की है कि तीनो कृषि कानूनो को वापस लिया जाए. बेनीवाल के अनुसार कोरोना और सर्दी के बावजूद देश का अन्नदाता आंदोलन पर मजबूर है, जो किसी भी लिहाज से सरकार के लिए उचित नहीं है.
बेनीवाल पिछले कई दिनों से कृषि क़ानूनों को लेकर मुखर हैं और आज उन्होंने अमित शाह को भेजी अपनी चिट्ठी में साफ़-साफ़ लिख दिया कि अगर ये क़ानून वापस नहीं लिए गए तो उन्हें एनडीए में बने रहने पर विचार करना पड़ेगा. सांसद बेनीवाल ने साफ़ तौर पर किसान और जवान को अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का आधार बताते हुए आगे अपनी चिट्ठी में अमित शाह से मांग की है कि स्वामीनाथन आयोग की सम्पूर्ण सिफ़ारिशों को देश में तुरंत लागू किया जाए.
एनडीए को समर्थन दे रहे बेनीवाल पार्टी से खुद अकेले सांसद हैं, इसलिए उनकी समर्थन वापस लेने की चेतावनी का केंद्र सरकार की मौजूदा स्तिथी पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा, लेकिन बेनीवाल के इस कदम से एनडीए के घटक दलों को लेकर विपक्षी दलों को सरकार पर निशाना साधने का तो पूरा अवसर मिल ही जाएगा. वैसे बेनीवाल इन दिनों राजस्थान में अपनी पार्टी की ताक़त बढ़ाने के लिए ख़ासी मेहनत कर रहे हैं. बेनीवाल की पार्टी के राजस्थान में अभी चार विधायक भी हैं. बेनीवाल जाट समुदाय से हैं और इस जाति का प्रदेश में क़रीब पचास विधानसभा सीटों पर बड़ा और निर्णायक वोट बैंक है. बेनीवाल यदि एनडीए से किनारा करते हैं, तो इसका सीधा फ़ायदा कांग्रेस को हो या ना हो, लेकिन बीजेपी का नुक़सान तो होना निश्चित है.
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