नई दिल्ली: बिहार में महागठबंधन एक और टूट की ओर बढ़ती दिख रही है. जीतन राम मांझी के बाद अब आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन छोड़ सकते हैं. इसके पीछे की वजह सीट बंटवारे को लेकर फंसा पेंच बताया जा रहा है.


सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर महागठबंधन में पेंच फंस गया है. अब तक चली बातचीत में कोई नतीज़ा सामने नहीं आते देख सहयोगी दलों में बेचैनी बढ़ती जा रही है. कुछ दिनों पहले ही जीतन राम मांझी ने महागठबंधन को बाय बाय कहा और अब एक और प्रमुख सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा भी बाहर जाने की तैयारी में हैं.


उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने कल पटना में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और अन्य पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है. बैठक में बिहार की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की जाएगी. सूत्रों के मुताबिक़ बैठक में पार्टी महागठबंधन छोड़ने पर कोई फ़ैसला कर सकती है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर बात आगे नहीं बढ़ पा रही है.


पार्टी के प्रधान महासचिव माधव आनंद ने एबीपी न्यूज़ से कहा, “पहली बात ये है कि जो बात अबतक नहीं बन पाई है वो अगले कुछ दिनों में कैसे बन पाएगी जब जल्द ही आचार संहिता लगने वाली है."


माधव आनंद ने इस बात का खुलासा तो नहीं किया कि उनकी पार्टी दोबारा एनडीए में आएगी या नहीं लेकिन इतना ज़रूर कहा कि राजनीति में कोई दोस्त या दुश्मन नहीं होता और उनकी पार्टी पहले भी एनडीए का हिस्सा रह चुकी है.


इस बयान से इस तरह की अटकलें भी लग रही हैं कि उपेंद्र कुशवाहा की एनडीए में घर वापसी होने जा रही है. हालांकि पार्टी के एक अन्य पदाधिकारी ने कहा कि नीतीश कुमार का विरोध पार्टी लगातार करती आई है, ऐसे में नीतीश कुमार से हाथ मिलाना सम्भव नहीं होगा.


दरअसल महागठबंधन के भीतर आरजेडी, कांग्रेस, रालोसपा और मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी के बीच बातचीत अटक गई है. सूत्रों के मुताबिक़ आरजेडी और कांग्रेस चाहते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश साहनी की पार्टी के उम्मीदवार आरजेडी या कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ें ताकि चुनाव बाद ज़रूरत पड़ने पर इन पार्टियों के विधायक अपना पाला नहीं बदल सकें.


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