Rajya Sabha Election: उत्तर प्रदेश में राज्यसभा (UP Rajya Sabha Election) की 11 सीटों पर चुनाव होने हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने यूपी से राज्यसभा के 6 उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया है. लेकिन अभी दो और टिकटों को लेकर ज़बरदस्त सस्पेंस बना हुआ है. पार्टी यूपी से 8 सीट जीत सकती है. सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए सीट खाली करने वाले राधामोहन और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे लक्ष्मीकान्त का नाम पहली लिस्ट में है. वहीं कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में आए बडे़ नेता आरपीएन सिंह को लेकर अभी फैसला नहीं हो पाया है.


बीजेपी ने यूपी से लक्ष्मीकांत वाजपेयी और डॉक्टर राधामोहन अग्रवाल को राज्य सभा भेज कर बड़ा मैसेज दिया है. जब नरेन्द्र मोदी ने 2014 में वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया तब वाजपेयी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे. किन्ही वजहों से पार्टी के कुछ ताकतवर नेताओं से उनकी नहीं बनी. 2017 का विधानसभा चुनाव भी वे मेरठ से हार गए. फिर धीरे धीरे वे हाशिए पर चले गए. इस विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें उस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया जो दूसरी पार्टी के नेताओं के बीजेपी में शामिल होने या न होने का फैसला करती थी. पार्टी ने ब्राह्मण कोटे से उन्हें राज्य सभा का टिकट दिया है. गोरखपुर के शिव प्रताप शुक्ल को इस बार पार्टी ने रिपीट न करने का फैसला किया है.


राधा मोहन दास का नाम सुनकर सब चौंके 
सबसे चौंकाने वाला नाम है डॉक्टर राधामोहन दास अग्रवाल का. जो बीजेपी कैंप में डॉक्टर साहेब के नाम से जाने जाते हैं. यूपी की राजनीति में उन्हें योगी आदित्यनाथ का विरोधी माना जाता है. पार्टी ने उनका टिकट काट कर इस बार गोरखपुर शहर से योगी को चुनाव लड़वाया था. टिकट कटने के बावजूद राधामोहन मौन रहे और योगी के लिए चुनाव प्रचार करते रहे. एक दौर वो था जब राधामोहन को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो योगी बीजेपी के खिलाफ चले गए थे. बात 2002 विधानसभा चुनाव की है. बीजेपी ने गोरखपुर शहर से शिव प्रताप शुक्ल को टिकट दे दिया तो योगी ने राधामोहन को हिंदू महासभा से लड़वा दिया. योगी के समर्थन से राधामोहन चुनाव जीत गए. वे फिर 2007, 2012 और 2017 में बीजेपी से विधायक चुने गए.


सुरेंद्र सिंह नागर को दोबारा मिला मौका
पश्चिमी यूपी के गुर्जर नेता सुरेन्द्र सिंह नागर फिर से राज्य सभा का टिकट पाने में कामयाब रहे. उनके नाम को लेकर सस्पेंस बना हुआ था. पर पश्चिमी यूपी में जाट और गुर्जर समीकरण का बैलेंस बनाए रखने के लिए पार्टी ने उन्हें दुबारा राज्य सभा भेज रही है. तीन साल पहले बीजेपी में शामिल होने से पहले वे समाजवादी पार्टी के राज्य सभा सासंद थे. वे बीएसपी से गौतमबुद्ध नगर के लोकसभा सासंद भी रह चुके हैं. विवादों से उनका कभी भी नाता नहीं रहा.


जय प्रकाश निषाद को मिला टिकट
बीजेपी ने इस बार जय प्रकाश निषाद का टिकट काट कर उनकी ही जाति के बाबू राम निषाद को राज्य सभा का टिकट दे दिया है. हमीरपुर के रहने वाले निषाद अभी यूपी में राज्य पिछड़ा वर्ग वित्त आयोग के अध्यक्ष हैं. वे पाटी की प्रदेश इकाई में उपाध्यक्ष भी रहे हैं. उनके नाम की लंबे समय से चर्चा थी. लेकिन संगीता यादव को राज्य सभा भेजने का फ़ैसला भी कम चौंकानेवाला नहीं रहा है. राधामोहन की तरह वे भी गोरखपुर की रहने वाली हैं. वे 2017 में चौरीचौरा से बीजेपी की विधायक चुनी गई थीं. लेकिन इस बार उनका टिकट कट गया. उनकी सीट बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी के खाते में चली गई. लेकिन पार्टी ने उन्हें राज्य सभा भेज कर संगीता के बड़ा ईनाम दिया है. उनके पति IRS अफ़सर हैं. दर्शनी सिंह को जब राज्य सभा का टिकट मिलने की जानकारी मिली वे लखनऊ में पार्टी की मीटिंग में थीं. अभी वे बीजेपी की महिला मोर्चा में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की करीबी रहीं दर्शना जौनपुर की रहने वाली हैं. इससे पहले वे यूपी महिला मोर्चा की भी अध्यक्ष रह चुकी हैं.


31 मई है नामांकन की अंतिम तिथि
राज्य सभा चुनाव के लिए नामांकन करने की आख़िरी तारीख़ 31 मई है. यूपी से बीजेपी आठ नेताओं को राज्य सभा भेज सकती है. पार्टी ने अभी छह टिकटों का एलान किया है. इसका मतलब ये हुआ कि अगले कुछ घंटों में बाक़ी बचे दो उम्मीदवारों की लिस्ट भी आ जाए. इनके लिए कई नाम चर्चा में हैं. क्या पार्टी संजय सेठ को रिपीट कर सकती है ? पिछले लोकसभा चुनावों के बाद वे समाजवादी पार्टी छोड़ कर बीजेपी में आ गए थे. क्या कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह को मौक़ा मिल सकता है. ज़फ़र इस्लाम और मुख़्तार अब्बास नकवी में से पार्टी किसे राज्य सभा भेजेगी. अभी मंथन जारी है. 


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