नई दिल्ली: देशभर में आज मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है. इस मौके पर वाराणसी, हरिद्वार और प्रयागराज में गंगा जी में आस्था की डुबकी लगाने के लिए भारी बीड़ उमड़ी है. प्रयागराज में संक्रांति के स्नान और दान पुण्य के लिए देशभर से लोगों का हुजूम संगम पर पहुंचा.


सूर्य का प्रवेश मकर राशि में होने के मौके पर स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व है. पिछले साल इस जगह कुम्भ का आयोजन हुआ था और आज मिनी-कुम्भ जैसा नज़ारा प्रयागराज में देखने को मिल रहा है.





व्यवस्था के लिहाज से भी माघ मेले में व्यापक इंतज़ाम देखने को मिल रहे हैं. माघ मेले में बड़ी संख्या में लोग कल्पवास के लिए आते हैं. क़रीब 2500 बीघे में टेंट लगाकर कल्पवासियों के रहने के इंतज़ाम किये गए हैं. इसके अलावा कई बड़े साधु संत भी इस वक्त प्रयागराज में अपना डेरा जमाए हुए हैं.


पिछले कुछ सालों से मकर संक्रांति कभी 14 तो कभी 15 जनवरी को मनाई जा रही है. सूर्य की चाल के अनुसार मकर संक्रांति की तारीखों में बदलाव होता है. आने वाले कुछ सालों बाद ये पर्व 14 नहीं बल्कि 15 और 16 जनवरी को मनाया जाएगा.


मकर संक्रांति 14 तारीख की बजाय 15 तारीख पढ़ने पर आध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा ने इसे वैज्ञानिक कारण बताया है. उनके मुताबिक पहले धरती सूर्य की परिक्रमा 6 घंटे में करती थी फिर 18 घंटे में उसके बाद 24 घंटे में और आप 24 घंटे से अधिक समय लगने लगा है. इसी कारण से यह तारीख बदली है उन्होंने यह भी बताया कि तकरीबन 72 साल बाद 1 तारीख बढ़ जाती है.


कैसे करें पूजा?
मकर संक्रांति की पूजा करने वाले लोग सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं और नहाने के पानी में तिल डालकर स्नान करें. जो लोग इस दिन उपवास रखना चाहते हैं वो व्रत रखने का संकल्प लें और श्रद्धा के अनुसार दान भी जरूर करें. सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल फूल, चंदन, तिल और गुड़ मिला लें और इस जल के मिश्रण को भगवान सूर्य देव को समर्पित कर दें. ‘ऊं सूर्याय नम:’ मंत्र का जाप सूर्य को जल चढ़ाते हुए करें.


मकर संक्रांति के दिन घरों में भी विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इसके बाद खिचड़ी खाने की भी परंपरा है. एक मान्यता है कि इस दिन किया गया दान सभी दानों में श्रेष्ठ होता है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं जो बहुत ही शुभ माना जाता है.