Rohingya Issue: बांग्लादेश (Bangladesh) की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) रोहिंग्या समस्या (Rohingya Issue) से निपटने में भारत (India) से मदद की उम्मीद जताई है. रोहिंग्या समस्या के सवाल पर शेख हसीना ने कहा, ''भारत एक बड़ा देश है. यह बहुत कुछ कर सकता है.'' शेख हसीना ने अपने चार दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचने के बाद यह बात कही. रोहिंग्या समस्या पर शेख हसीना का बयान भारत के लिए क्यों मुश्किल है, आइये जानते हैं. 


पिछले साल संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक, भारत के करीब 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं. इनमें जम्मू कश्मीर, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और केरल में शामिल हैं. भारत सरकार रोहिंग्याओं को देश से बाहर करने की मंशा पहले ही जता चुकी है लेकिन अभी तक समस्या जस की तस बनी हुई है.


नागरिक संसोधन बिल 2019 की चर्चा के दौरान ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कह दिया था कि भारत रोहिंग्याओं को कभी स्वीकार नहीं करेगा. सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताती आई है. भारत के गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सरकार को मिली एक रिपोर्ट के हवाले से कहा था कि रोहिंग्या मुसलमान देश में अवैध गतिविधियों में शामिल हैं. ऐसे में भारत के लिए सबसे पहले मुश्किल यही है कि जब वह खुद रोहिंग्या समस्या से जूझ रहा है कि तो इस मामले में निपटने के लिए बांग्लादेश की मदद कैसे करेगा?


हाल में भारत में रोहिंग्या मुद्दे पर गरमाया विवाद


हाल में भारत में रोहिंग्या समस्या पर उस समय विवाद गरमा गया था जब केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इन शरणार्थियों को बसाने संबंधी जानकारी ट्वीट कर दी थी. हरदीप पुरी ने लिखा था, ''भारत ने हमेशा उन लोगों का स्वागत किया है जिन्होंने देश में शरण मांगी. एक ऐतिहासिक फैसले में सभी रोहिंग्या शरणार्थियों को दिल्ली के बक्करवाला इलाके स्थित फ्लैट में स्थानांतरित किया जाएगा. उन्हें मूलभूत सुविधाएं यूएनएचसीआर (शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त की ओर से जारी) परिचय पत्र और दिल्ली पुलिस की चौबीसों घंटे सुरक्षा मुहैया की जाएगी.’’


हरदीप पुरी के बयान पर दिल्ली सरकार ने कहा था कि सरकार को रोहिंग्याओं को बसाना है तो किसी भी बीजेपी शासित राज्य में बसाइये लेकिन दिल्ली में उनको फ्लैट आवंटित नहीं करने देंगे. बीजेपी के भीतर भी विरोध उठा था और सोशल मीडिया पर लोगों ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया था. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सफाई दी थी. 


गृह मंत्रालय को देनी पड़ी सफाई


गृह मंत्रालय ने कहा था कि यह स्पष्ट किया जाता है कि दिल्ली के बक्करवाला में रोहिंग्या अवैध प्रवासियों को ईडब्ल्यूएस फ्लैट प्रदान करने का कोई निर्देश नहीं दिया है. गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों को एक नए स्थान पर स्थानांतरित करने का प्रस्ताव दिया था. इसके बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर पूछा था कि किसके निर्देश पर रोहिंग्या समुदाय के सदस्यों को यहां फ्लैट देने का फैसला किया गया, इसकी निष्पक्ष जांच कराई जाए.


आखिर कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान?


रोहिंग्या मुसलमान आज कहीं शरणार्थी तो कहीं घुसपैठिए के तौर पर जाने जाते हैं. रोहिंग्याओं की कहानी म्यांमार में शुरू होती है, जब अंग्रेजों ने वहां हुकूमत करना शुरू किया. तब म्यांमार बर्मा के नाम से जाना जाता था. 1862 में अंग्रेज बर्मा में राज करने लगे थे. उस दौरान चावल की कीमतें लोगों को सता रही थीं. इसलिए चावल की खेती को बढ़ावा देने के लिए बांग्लादेश (तब के भारत के पूर्वी हिस्से) से प्रवासियों को म्यांमार में बसाने का काम शुरू हुआ. अंग्रेजों ने उन्हें खाली पड़ी जमीनों पर बसा दिया. उन लोगों में ज्यादातर मुसलमान थे. ज्यादातर लोग म्यामांर के राखइन राज्य में बसे. पिछले कुछ वर्षों में म्यांमार की सरकार ने रोहिंग्याओं को वहां का मूल निवासी मानने से मना कर दिया. रोहिंग्याओं के साथ अवैध नागरिक के तौर पर बर्ताव किया जाने लगा. म्यामांर का बाकी समाज भी रोहिग्याओं से परहेज रखता है क्योंकि उसे लगता है कि रोहिंग्या अंग्रेजी सरकार के आदमी हैं.


म्यांमार में रोहिंग्याओं को मूलभूत सुविधाओं जैसे कि शिक्षा और स्वास्थ्य की सरकारी सेवाओं से वंचित कर दिया गया है. म्यांमार में संघर्ष झेलने वाले रोहिंग्याओं ने वहां से निकलकर दक्षिण एशियाई देशों में शरण लेना शुरू कर दिया और बांग्लादेश रोहिंग्याओं के पसंद की जगह बताया जाता है.


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