जम्मू: भारी हंगामे के बीच नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा से पास होने के बाद सरकार ने जम्मू में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या परिवारों को वापस भेजने के संकेत दिए है. वहीं जम्मू में रह रहे इन परिवारों का कहना है कि जब तक म्यांमार और बर्मा में हालात समान्य नहीं होते वो वापस नहीं जाएंगे.
जम्मू के भटिंडी और आस-पास के इलाकों में बर्मा और म्यांमार से आये सेंकड़ों रोहिंग्या परिवार रहते है. यह लोग यहां पिछले 10 सालों से अधिक समय से रह रहे हैं. हालंकि जम्मू में रह रहे इन परिवारों को निकालने की मांग काफी पुरानी है, लेकिन सोमवार को नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा से पास होने के बाद इन परिवारों को जम्मू से वापस जाने के संकेत मिलने लगे हैं. जम्मू की रोहिंग्या बस्ती में रहने अब्दुल सलाम का कहना है कि नागरिकता संशोधन बिल पास होने की खबर अच्छी नहीं है. उनका कहना है कि अगर सरकार उन्हें निकलने को कहती है तो वो उस जगह जाकर बसना चाहेंगे जहां उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो.
बर्मा से आये अमानुल्लाह जम्मू में पिछले 7 सालों से जम्मू में रह रहे है. उनका कहना है कि वो जम्मू से अपने देश तभी जायेंगे जब वहां शांति स्थापित होगी. उन्होंने बताया, "बर्मा में इस समय बहुत जुल्म हो रहे है, जिसके चलते मैंने जम्मू का रुख किया. अब अगर सरकार हमें जबरदस्ती निकलने को कहती है तो हम मर जाना पसंद करेंगे लेकिन जम्मू से नहीं जायेंगे". वहीं इसी बस्ती में रहने वाले मोहम्मद रफीक का कहना है कि वो सरकार के इस फैसले का सम्मान करते हैं और कोई भी सरकार से नहीं लड़ सकता. लेकिन उन्होंने सवाल किया कि वह जम्मू से निकल कर कहां जाएंगे. वहीं जम्मू के सरकारी अधिकारियों का कहना है कि जम्मू के विभिन्न इलाकों में 5,734 रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं. जानकारों के मुताबिक जम्मू की तीन दर्जन से अधिक बस्तियों में बीस हजार से अधिक रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं. उनके मुताबिक उन्होंने ऐसी एक बस्ती से तीन दर्जन से अधिक आधार कार्ड रोहिंग्या शरणार्थियों से बरामद किये हैं.
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