Rohini Court Blast Investigation Update: रोहिणी कोर्ट में हुए बम धमाके के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. अब तक की जांच में पता चला है कि कोर्ट में धमाका रिमोट के जरिए किया गया था. जांच एजेंसियों के मुताबिक बारूद के तौर पर पोटेशियम क्लोराइड और अमोनियम नाइट्रेट का पाउडर बनाया गया था. वहीं दूसरी ओर कई सीसीटीवी फुटेज खंगालने और 3 दर्जन से ज्यादा बयानों को दर्ज करने के बाद भी दिल्ली पुलिस के हाथ अभी खाली है. इस घटना को आतंक का ड्राई रन भी बताया जा रहा है .


दिल्ली पुलिस के एक आला अधिकारी ने बताया कि रोहिणी कोर्ट में हुए धमाके के बाद वहां मिले सफेद पाउडर को जांच के लिए भेजा गया था. अब तक की जांच के दौरान पता चला है कि पाउडर में अमोनियम नाइट्रेट और पोटेशियम क्लोराइड मिला हुआ है. यह दोनों चीजें ही बाजार में बड़े आराम से मिल जाती हैं, और इनसे बम बनाया जा सकता है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक शुरुआती जांच के दौरान यह भी पता चला है कि बम को जिस शख्स ने बनाया था संभव है उसने बम बनाने के लिए इंटरनेट पर मौजूद सामग्री का इस्तेमाल किया हो. बम के अंदर बारूद की मात्रा इतनी थी कि बम पूरी सफाई के साथ बनाया जाता तो उसके धमाके से बड़ा नुकसान पहुंचा सकता था. बम कोर्ट रूप के भीतर ब्लास्ट हुआ था.


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पुलिस सूत्रों के मुताबिक अब तक की जांच में घटनास्थल से पुलिस को एक ऐसा यंत्र भी मिला है, जिससे पता चलता है कि बम को विस्फोट में रिमोट का इस्तेमाल किया गया था. जांच एजेंसियों को शक है कि साजिशकर्ता ने सुरक्षित जगह से बम को ब्लास्ट किया होगा. माना जा रहा है कि यह धमाका आतंक फैलाने के लिए किया गया था. इसे आतंक का ड्राइ रन भी बताया जा रहा है, क्योंकि साजिशकर्ता ने सुरक्षा एजेंसियों की तमाम कोशिशों के बावजूद विस्फोटक कोर्ट के अंदल पहुंचाया.


एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक अभी तक कई सीसीटीवी फुटेज खंगाली हैं. शक है कि साजिशकर्ता कथित तौर पर वकीलों की वेशभूषा में था, लेकिन अभी तक उसकी सही पहचान नहीं हो सकी है. जांच एजेंसियों ने इस मामले में अब तक 40 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए हैं, लेकिन अभी तक असली आरोपी तक पहुंचने में दिल्ली पुलिस के हाथ खाली हैं. 


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रोहिणी कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था पर पिछले दिनों कोर्ट परिसर के अंदर एक बदमाश को गोली मारने की घटना के बाद सवाल उठे थे. बदमाश का एनकाउंटर किए जाने को लेकर भी खासी चर्चा हुई थी. साथ ही कोर्ट की सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट ने भी गंभीर रुख अपनाया था.