नई दिल्ली: यूपी और उत्तराखंड के पूर्व सीएम दिवंगत नरायण दत्त तिवारी के बेटे रोहित शेखर तिवारी का निधन हो गया है. दिल्ली की डिफेंस कॉलोनी में रहने वाले रोहित शेखर को उनकी मां और पत्नी साकेत के मैक्स अस्पताल लेकर पहुंची थीं. मौक के कारणों का अभी खुलासा नहीं हुआ है लेकिन जानकारी के मुताबिक रोहित शेखर की मौत हार्ट अटैक से हुई है. उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने रोहित शेखर तिवारी के निधन पर दुख जताया है.


पुलिस के मुताबिक रोहित की मां उज्ज्वला तिवारी अपने इलाज के लिए पहले से ही साकेत के मैक्स अस्पताल आई हुई थीं. इसी बीच उन्हें घर से फोन आया कि रोहित की तबियत खराब है और नाक से खून निकल रहा है. घरवालों ने ही एम्बुलेंस को कॉल भी किया था. कॉल मिलते ही उज्ज्वला तिवारी एम्बुलेंस के साथ डिफेंस कॉलोनी स्तिथ अपने घर पहुंची और रोहित को अस्पताल पहुचाया गया. डॉक्टर्स ने अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया.






सात साल एनडी तिवारी के खिलाफ लड़ा पितृत्व का केस
रोहित शेखर तिवारी ने स्वर्गीय एनडी तिवारी के खिलाफ करीब सात साल तक पितृत्व का केस लड़ा. इसके बाद डीएनए टेस्ट में रोहित शेखर के एनडी तिवारी के बेटा होने की पुष्टि हुई, जिसेक बाद तिवारी ने भी रोहित शेखर को अपना बेटा मान लिया. साल 2008 में रोहित शेखर ने एक याचिका दायर कर दावा किया था कि एन.डी. तिवारी उनके बायलॉजिकल पिता हैं. रोहित शेखर की मां उज्जवला ने डीएनए रिपोर्ट आने के बाद कहा था कि मुझे आज अपने बेटे पर गर्व है. एनडी तिवारी से माफी के सवाल पर उन्होंने ये भी कहा था कि मुझे उनसे कुछ नहीं चाहिए.


दो राज्यों के सीएम बनने वाले इकलौते नेता थे एनडी तिवारी
आपको बता दें कि एनडी तिवारी पहली बार 1952 में विधायक बने. एनडी तिवारी पहली बार 1976 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. 5 बार विधायक रहे तो तीन बार यूपी के सीएम की कुर्सी पर कब्जा किया. 1980 में तिवारी पहली बार लोकसभा पहुंचे और इंदिरा गांधी ने उन्हें योजना मंत्री बनाया बाद में एनडी तिवारी ने वित्त, विदेश जैसे कई बड़े मंत्रालय संभाले.


कहा जाता है कि खांटी कांग्रेसी एनडी तिवारी, राजीव गांधी की मौत के बाद प्रधानमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे थे लेकिन वो चुनाव हार गए और सत्ता की सबसे बड़ी कुर्सी के इतने करीब होने के बावजूद उसे पा ना सके. और यही वजह थी कि एनडी कांग्रेस से अलग हो गए थे लेकिन बाद में सोनिया गांधी के आने के बाद फिर से कांग्रेस में वापस आ गए.


उसके बाद साल 2000 में उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ, साल 2002 में ही उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बन एनडी तिवारी ने इतिहास रच दिया और दो राज्यों के मुख्यमंत्री बनने वाले इकलौते राजनेता बन गए. इतना ही नहीं साल 2007 में एनडी तिवारी आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी बने.