नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर नरेंद्र मोदी सरकार ने उनका एक और सपना पूरा किया. जून 2000 में वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई रोहतांग टनल का काम पूरा करने के साथ ही अब लेह और मनाली को जोड़ने वाली इस सुरंग मार्ग का नाम अटल-टनल रखने का भी ऐलान किया. इस मार्ग पर अगस्त 2020 से आवाजाही भी शुरू होने की उम्मीद है.


इस सुरंग का नामकरण करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जिस वक्त यह योजना शुरू हुई तब बीजेपी के हिमाचल प्रदेश के प्रभारी संगठन पदाधिकारी के तौर पर इसकी चर्चा में शामिल था. उस वक्त सोचा भी नहीं था कि अटल जी के नाम पर इसके नामकरण का अवसर मिलेगा. लेह और मनाली के बीच की दूरी 46 किमी घटाने वाले इस रास्ते को पीएम ने कारगिल युद्ध के बाद किए गए रणनीतिक सुधारों का भी नतीजा करार दिया.


दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में पीएम ने इस बात की उम्मीद जताई कि अटल टनल लेह लद्दाख और करगिल के लोगों का भाग्य बदल देने वाली साबित होगी. इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अटल टनल को सैन्य इंजीनियरिंग की नई मिसाल करार देते हुए कहा कि 3 हज़ार फुट की ऊंचाई पर बना अपनी तरह का अकेला सुरंग मार्ग है.


रोहतांग दर्रे के नीचे सुरंग बनाने का फैसला करीब दो दशक पहले तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने लिया था. आठ किमी से अधिक लंबी इस सुरंग की चौड़ाई 10.5 मीटर से ज़्यादा है. इसमें दोनों तरफ से वाहनों की आवाजाही का रास्ता है. सुरंग को आपात स्थितियों के लिए फायरप्रूफ बनाया गया है. यह दुनिया का अकेला ऐसा सुरंग मार्ग है जो तीन हज़ार किमी से अधिक की ऊंचाई पर है. इसके निर्माण में सीमा सड़क संगठन के इंजीनियरों ने अक्टूबर 2017 में पहली बार दोनों तरफ से बनाए जा रहे रास्तों को मिलाया.


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