नई दिल्ली: ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी के हो गए हैं. तिरंगे पट्टे के बदले अब वे भगवा पट्टा पहनने लगे हैं. बीजेपी ऑफिस में उन्होंने ज़फ़र इस्लाम का नाम मंच से पुकारा, तो सब हैरान रह गए. लेकिन सिंधिया और ज़फ़र की दोस्ती ही ऐसी है. जब वे आज दिल्ली के बीजेपी ऑफिस पहुंचे तो उनके साथ ज़फ़र इस्लाम ही थे. सिंधिया दिल्ली के आनंदलोक में रहते हैं. सिंधिया को बीजेपी ऑफिस लाने से करीब दो घंटे पहले ही ज़फ़र उनके घर पहुंच गए थे. जब सिंधिया और पीएम नरेन्द्र मोदी की भेंट हुई, तब भी ज़फ़र साथ थे.
ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीजेपी में डील क्या हुई ? ये तस्वीर तो अब साफ़ हो चुकी है. लेकिन ये डील किसने और कैसे कराई, इस पर सस्पेंस बना हुआ है. लेकिन सिंधिया के बीजेपी कैंप में आने के बाद से कुछ खबरें छन कर बाहर आने लगी हैं. वैसे तो ऑपरेशन कमल का सारा क्रेडिट गृह मंत्री अमित शाह को जाता है. केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर उनके साथ रहे. लेकिन चर्चा ज़फ़र इस्लाम की भी हो रही है.
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अंदर की खबर है कि सिंधिया के मन की बात सबसे पहले ज़फ़र ने ही अमित शाह को बताई थी. ये बात क़रीब दो महीने पहले की है. ज़फ़र पार्टी के राष्ट्रीय पैनलिस्ट हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया और ज़फ़र के एक कॉमन फ़्रेंड हैं. जो सांसद भी हैं. उनके ज़रिए ही बात शुरू हुई. कांग्रेस छोड़ने की चर्चा सबसे पहले तीनों दोस्तों के बीच शुरू हुई. तीनों दिल्ली के दो होटलों में कई बार मिले. बात हुई, मुलाक़ात हुई और फिर सिंधिया की बात बीजेपी में ऊपर तक पहुंचाई गई. सिंधिया अपने मान सम्मान को लेकर बहुत चिंतित थे. दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की जोड़ी के व्यवहार से दुखी थे. बस यहीं से बात आगे बढ़ गई.
जब देश होली मना रहा था. ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने घर से निकले. खुद ही ड्राईव करते हुए. फिर वे गुजरात भवन पहुंचे. वहीं अमित शाह भी आ गए. सिंधिया वहां से पीएम नरेन्द्र मोदी से मिलने पहुंचे, तो गाड़ी में अमित शाह भी साथ थे. इन दोनों के अलावा ज़फ़र इस्लाम भी उसी गाड़ी में थे. जब सिंधिया की मोदी से उनके घर पर मुलाक़ात हुई, तब ज़फ़र भी वहां थे. ये बात जंगल में आग की तरह फैली.
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सिंधिया के कांग्रेस से बीजेपी में आने में ज़फ़र के रोल को लेकर कानाफूसी तेज हो गई. 6 मार्च को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बेटे का रिसेप्शन था. दिल्ली में उनके मोतीलाल नेहरू मार्ग वाले बंगले पर. वहां अमित शाह वीआईपी एरिया में बैठे थे. उनके एक तरफ़ रेल मंत्री पीयूष गोयल और शिवराज चौहान बैठे थे. दूसरी ओर नरेन्द्र सिंह तोमर. अमित शाह ने सामने ज़फ़र इस्लाम को बैठाया.
राजनीति में आने से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया इन्वेस्टमेंट बैंकर थे. ज़फ़र इस्लाम भी कुछ इसी तरह का काम यस बैंक के लिए करते थे. मुंबई में रहते हुए ज़फ़र की दोस्ती कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा से हुई. मिलिंद और सिंधिया की दोस्ती जगज़ाहिर है. मिलिंद के बहाने ही ज़फ़र की जान पहचान सिंधिया से हो गई. ये जान पहचान और दोस्ती सालों बाद अब काम आई. पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान भी उन्हें दिल्ली से भोपाल भेजा गया था. मीडिया मैनेजमेंट के लिए. इस दौरान एमपी के नेताओं से उनके संबंध और मज़बूत हुए. यही मज़बूती सिंधिया को बीजेपी में लाने में काम आई.