कलम बेचकर देश के सात बैंको को चूना लगाने वाले विक्रम कोठारी की पूरी कहानी
कोठारी परिवार की जन्मभूमि गुजरात रही है लेकिन परिवार ने कर्मभूमि के तौर पर यूपी के कानपुर को चुना. एक समय था जब कोठारी परिवार की कंपनियों की देश में तूती बोला करती थी.
नई दिल्ली: विक्रम कोठारी का फर्जीवाड़ा जितना बड़ा है, उतना ही बड़ा है उसके परिवार का कद भी है. कोठारी परिवार की जन्मभूमि गुजरात रही है लेकिन परिवार ने कर्मभूमि के तौर पर यूपी के कानपुर को चुना. एक समय था जब कोठारी परिवार की कंपनियों की देश में तूती बोला करती थी.
कंपनी के पेन का विज्ञापन बड़े सितारों से करावाया. 90 के दशक में रवीना टंडन एक विज्ञापन में दिखती थीं. उस वक्त इसका टैगलाइन था, ''लिखते-लिखते लव हो जाए.'' पेन के लिए फिल्म स्टार सलमान खान ने भी ऐड कैंपेन की. फिर मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ऐड में ये कहते दिखे, ''लिखो इंडिया की नई पहचान.''
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जिस पेन के लिए फिल्मी दुनिया के तमाम सितारे ऐड पर ऐड कर रहे थे उसे बनाने वाली कंपनी रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी हैं. पेन बेचकर देश के सात बैंकों को चूना लगाने वाले विक्रम कोठारी का नाता देश के जाने माने पराग समूह से रहा है.
- विक्रम कोठारी के पिता मनसुख भाई कोठारी ने 1973 में वो पराग कंपनी शुरू की.
- जिसका पान पराग एक वक्त पर घर घर में मशहूर हो गया था.
- 1983 से 87 के बीच पान पराग विज्ञापन देने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में से थी.
- मनसुख भाई के निधन के बाद उनके दो बेटे विक्रम और दीपक कोठारी के बीच बंटवारा हुआ.
- तब विक्रम कोठारी ने पेन बनाने वाली कंपनी रोटोमैक शुरू की.
- 1995 के दौरान रोटोमैक कंपनी पेन की दुनिया में सबसे बड़ी ब्रांड बन गई. इसका मुनाफा तब भी करोड़ों में था.
- यही वजह थी कि विक्रम कोठारी को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के हाथों बेस्ट एक्स्पोर्टर ऑफ द इयर का सम्मान भी मिला.