150 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी: CBI ने तीन अलग-अलग मामलों में आरोप पत्र अदालत में किए दायर
सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि लगभग 149.89 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के आरोप पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से प्राप्त शिकायत के आधार पर निजी कंपनियों तथा उनसे संबंधित निदेशकों और लोकसेवकों के विरुद्ध तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए गए थे.
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मुंबई: सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) ने लगभग 150 करोड़ रुपये की धनराशि के बैंक धोखाधड़ी के तीन अलग-अलग मामलो में निजी कंपनियों एवं उनके निदेशकों, वित्तीय सलाहकारों, कंपनी समूह के अध्यक्ष, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन महाप्रबंधक और डी जी एम आदि के विरुद्ध सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश की अदालत, मुंबई में आरोप पत्र दायर किया है.
सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि लगभग 149.89 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के आरोप पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से प्राप्त शिकायत के आधार पर निजी कंपनियों तथा उनसे संबंधित निदेशकों और लोकसेवकों के विरुद्ध तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए गए थे.
यह आरोप था कि निजी कंपनियों के ऋणियों ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के लोक सेवकों के साथ मिलीभगत में कार्यवाही,आंकलन,मूल्यांकन, आंतरिक निर्धारण, सक्षम प्राधिकारी से नियमित मंजूरी तथा बंधक रखे बिना साख पत्र (एलसी) जारी कर उक्त धोखाधड़ी की.
कब-कब मामले सामने आए थे? इस धोखाधड़ी को लेकर पहला मामला 29 जून 2019 को दर्ज किया गया था जिसमे 56.98 करोड़ रु.(लगभग) की बैंक धोखाधड़ी के आरोप पर निजी कंपनियों तथा इसके निदेशकों, वित्तीय सलाहकारों, तत्कालीन डी जी एम, क्षेत्रीय प्रमुख(यूनियन बैंक ऑफ इंडिया), तत्कालीन जी एम, मण्डल प्रमुख(यूनियन बैंक ऑफ इंडिया) आदि सहित 13 आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर हुआ.
दूसरा मामला भी 29 जून 2019 को दर्ज हुआ था और इस मामले में लगभग 50 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के आरोप पर निजी कंपनियों तथा इसके निदेशकों, वित्तीय सलाहकारों, कंपनी समूह के अध्यक्ष, तत्कालीन डी जी एम/क्षेत्रीय प्रमुख(यूनियन बैंक ऑफ इंडिया), तत्कालीन जी एम/मण्डल प्रमुख(यूनियन बैंक ऑफ इंडिया) आदि सहित 16 आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर हुआ.
और तीसरा मामला 9 मार्च 2020 को दर्ज हुआ और लगभग 42.91 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के आरोप पर निजी कंपनियों तथा इसके निदेशकों, वित्तीय सलाहकारों, तत्कालीन डी जी एम/क्षेत्रीय प्रमुख(यूनियन बैंक ऑफ इंडिया), तत्कालीन जी एम/मण्डल प्रमुख(यूनियन बैंक ऑफ इंडिया) आदि सहित 16 आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर हुआ.
सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक जांच के दौरान, यह पता चला कि ऋणी कंपनियों ने कथित रुप से जाली आपूर्तिकर्ताओं के साथ मिलीभगत में विभिन्न बैंकों से साख पत्रों(एल सी) की छूट लेने के दौरान झूठे एवं बनावटी कर इनवॉयस(fabricated tax invoices), लेन देन के बिल और जाली लॉरी रशीद पेश की.
यह आरोप था कि कंपनी समूह के अध्यक्ष ने मुख्य भूमिका अदा की और अपने एक कर्मचारी के माध्यम से जाली एवं बनावटी वित्तीय आकड़े प्रस्तुत कर सभी तीन ऋणियों के लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से साख सुविधा प्राप्त करने की ब्यवस्था की. यह भी आरोप था कि उक्त आरोपी ने अपने कर्मचारियों को कई हमनाम आपूर्तिकर्त्ता कंपनियों में निदेशक के तौर पर नियुक्ति किया और उनके माध्यम से जाली एवं बनावटी कर इनवॉइस, लेन देन के बिल और जाली लॉरी रशीद पेश की तथा कथित रूप से अपने कर्मचारियों के माध्यम से ऋण से प्राप्त धन ( loan proceeds) का गबन किया. उसी रूप में, उन्हें उक्त मामलों में आरोपित किया गया.
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