Bihar: अब राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह कहां जाएंगे, क्या सोमनाथ चटर्जी की पकड़ेंगे राह?
Rajya Sabha : बिहार में राजनीतिक समीकरण बदलने से हरिवंश नारायण सिंह के भविष्य को लेकर अटकले शुरू हो गई हैं. उप सभापति के बाद वह सक्रिय राजनीति करेंगे या सोमनाथ चटर्जी की तरह राजनीति से सन्यास लेंगे.
Bihar Political Crisis: बिहार में जेडीयू-बीजेपी (JDU-BJP) गठबंधन टूट गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने इस्तीफा दे दिया है. इस बीच जेडीयू कोटे से राज्यसभा में उपसभापति बने हरिवंश नारायण सिंह का कार्यकाल भी खत्म होगा. ऐसे में उनके भविष्य को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं. वह अब सक्रिय राजनीति करेंगे या सोमनाथ चटर्जी की तरह सन्यास लेंगे. इसके अलावा क्या वह पत्रकारिता के क्षेत्र में फिर से अपना कदम रखेंगे. आइये जानते हैं हरिवंश नारायण सिंह के बारे में.
दो बार चुने गए राज्यसभा में उप सभापति
जनता दल (यूनाइटेड) के हरिवंश नायारण सिंह दो बार राज्यसभा में उप सभापति चुने गए हैं. उन्होंने आरजेडी के मनोज झा को हराकर यह पद काबिज किया था. इस पद पर उन्होंने पीजे कुरियन का स्थान लिया था. अब उनके कार्यकाल खत्म होने के बाद तमाम अटकले शुरू हो गई हैं. क्योंकि वह राजनीति से पहले पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय थे. कहीं, सोमनाथ चटर्जी की तरह वह राजनीति से सन्यास तो नहीं लेने वाले हैं. आइये जानते हैं, इनके बारे में सब कुछ.
हरिवंश नारायण सिंह का जन्म 30 जून 1956 को हुआ था. वह पहले पत्रकार और अब राजनेता हैं. वर्तमान में वह राज्यसभा से दो बार उप सभापति चुने गए हैं. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया समूह की हिंदी पत्रिका धर्मयुग से पत्रकारिता की शुरुआत की. फिर कोलकाता के आनंद बाजार पत्रिका समूह की हिंदी पत्रिका से जुड़े.
1989 में प्रभात खबर के प्रधान संपादक बने
1989 में रांची से प्रकाशित अखबार प्रभात खबर के प्रधान संपादक बने. चार दशकों की सक्रिय पत्रकारिता में उन्होंने कई मीडिया संस्थानों में काम किया है. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के अतिरिक्त मीडिया सलाहकार के रूप में भी कार्य किया है. चंद्रशेखर की सरकार केवल 08 महीने ही चल पाई. इसके साथ उनकी ये पारी भी खत्म हो गई. वर्ष 2014 में वे जनता दल (यूनाइटेड) के उम्मीदवार के रूप में बिहार से पहली बार 08 अगस्त 2018 को राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा के उप सभापति निर्वाचित हुए. 14 सितंबर 2020 को फिर से दूसरी बार वह राज्य सभा के उप सभापति चुने गए.
500 रुपये की नौकरी से शुरू किया सफर, अब देश में बनाई पहचान
हरिवंश नारायण सिंह ने राजनीति में आने से पहले पत्रकारिता में दमदार संपादक और पत्रकार के तौर पर पहचान बनाई थी. बताया जाता है कि उनका करियर 500 रुपये की नौकरी से शुरू हुआ था. अब उन्होंने देश की राजनीति में खास पहचान बना ली है.
हरिवंश राय का सफर
हरिवंश ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पढ़ाई की. इसके बाद यहीं से पत्रकारिता का डिप्लोमा लिया. 1974 में जब देशभर में जयप्रकाश नारायण समग्र आंदोलन के लिए अलख जगा रहे थे, तब वो भी इस आंदोलन में कूद पड़े. उन्होंने बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा लिया. 1981 में उन्होंने बैंक ऑफ इंडिया में सरकारी नौकरी शुरू की लेकिन ये उनको रास नहीं आई. चार साल ये नौकरी करने के बाद वो यहां से भी चले गए. इसके बाद 40 साल का मीडिया करियर रहा.
राज्यसभा में तीसरे गैर कांग्रेसी उपसभापति
हरिवंश राज्यसभा में 1952 के बाद तीसरे ऐसे गैर कांग्रेसी थे. जो उप सभापति बने. हरिवंश के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा एक बेटा और एक बेटी हैं. दोनों का विवाह हो चुका है.
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