नई दिल्ली: एयर इंडिया के निजीकरण का विरोध तेज हो गया है. विरोधियों में उसके अपने सांसद के अलावा अब राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़ी संस्था भी आगे आ गई है. पहले बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम ने निजीकरण को राष्ट्रदोह बताया अब भारतीय मजदूर संघ (बीएमसी) ने सरकार पर गंभीर आरोप मढ़ दिया.
आरएसएस से जुड़ी ट्रेड यूनियन बीएमसी ने एयर इंडिया के सौ फीसद हिस्सेदारी बेचने को निजी खिलाड़ियों के हाथों में खेलने जैसा बताया है. संगठन का कहना है कि निजीकरण कर सरकार अपनी जिम्मेदारियों से छुटकारा नहीं पा सकती है. इसलिए सरकार को एयर इंडिया का निजीकरण करने से पहले सौ बार सोचना चाहिए.
संगठन ने बयान में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजी हाथों में बेचने से सरकार की मदद नहीं होने जा रही है. पूर्व में भी सरकारों ने करदाताओं के पैसे को निजी उद्योगों या बैंकों को बेलआउट देने में इस्तेमाल किया. सरकार की ये पहल निजी उद्योगों को अप्रत्यक्ष रूप से फंडिंग करने के बराबर रही है. जब ये उद्योग मुनाफे में होते हैं तो अपने हिस्से को साझा नहीं करते मगर जब नुकसान होता है तो सरकार मदद को आगे आ जाती है.
क्या है पूरा मामला?
घाटे में चल रही सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया को बेचने की कोशिश फिर से शुरू हो गई हैं. सरकार ने एयर इंडिया को बेचने के लिए ओपन टेंडर का एलान किया है. सरकार एयर इंडिया में 100% शेयर बेचेगी. सरकारी टेंडर के मुताबिक ख़रीददारों को 17 मार्च तक आवेदन करना होगा.
खरीददार को मुंबई की एयर इंडिया बिल्डिंग नहीं मिलेगी. बोली लगाने की प्रक्रिया के बाद 31 मार्च तक शॉर्ट लिस्ट खरीददारों के सूचना दी जाएगी. एयर इंडिया के साथ ही सरकार एयर इंडिया एक्सप्रेस के भी 100 फीसदी और AISATS के 50 फीसदी शेयर बेचेगी. ये दोनों
बता दें कि साल 2018 में भी सरकार एयर इंडिया को बेचने की कोशिश कर चुकी है लेकिन उस वक्त एक भी खरीदार नहीं मिला था. पिछले प्रयास में सरकार ने 76 फीसदी ही बेचने का फैसाल किया था. माना जा रहा है कि उस वक्त एक भी खरीददार ना मिलने के कारण ही सरकार ने इस बार 100% हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव लेकर आयी है.
बंगाल BJP चीफ का विवादित बयान, कहा- 'शाहीन बाग में महिलाएं-बच्चे मर क्यों नहीं रहे'