अहमदाबाद: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और हिंदू संतों ने शुक्रवार को अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल पर मंदिर निर्माण को लेकर चर्चा की. यह जानकारी बैठक में हिस्सा लेने वाले धार्मिक नेताओं ने दी. उन्होंने बताया कि अहमदाबाद से 210 किलोमीटर दूर राजकोट में दो दिवसीय हिंदू आचार्य सभा बैठक में मौजूद भागवत और संतों ने स्पष्ट रूप से कहा कि मंदिर का निर्माण मई 2019 से पहले शुरू हो जाना चाहिए.


हिंदू नेताओं ने बताया कि बैठक में शाह ने भरोसा दिया कि अयोध्या में मंदिर का निर्माण होगा. शुक्रवार को सम्पन्न हुई बैठक में हिस्सा लेने वाले आचार्य सतगिरि महाराज ने कहा, ‘‘मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई. एक रास्ता विधिक रास्ता है...नेता अपना काम कर रहे हैं. संतों ने कहा कि वे राममंदिर निर्माण को जितना जल्दी संभव हो आगे बढ़ाना चाहते हैं.’’


राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले सतगिरि महाराज ने कहा, ‘‘मैं उम्मीद करता हूं कि वे दो..तीन महीने में कुछ करेंगे.’’ सुप्रीम कोर्ट द्वारा बाबरी मस्जिद- रामजन्मभूमि मालिकाना हक विवाद पर जनवरी में सुनवाई किये जाने की उम्मीद है. यह पूछे जाने पर कि क्या बीजेपी को मंदिर का निर्माण 2019 से पहले शुरू करने का एक अल्टीमेटम दिया गया, सतगिरि ने ना में जवाब दिया.


सतगिरि ने कहा, ‘‘मोहनजी ने अपनी इच्छा व्यक्त की कि राममंदिर का निर्माण 2019 चुनाव से पहले शुरू होना चाहिए लेकिन कोई अल्टीमेटम नहीं दिया गया.’’ एक अन्य संत ने कहा कि शाह ने बैठक में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई जनवरी में लिये जाने की संभावना के बारे में बात की.


संत ने कहा, ‘‘शाह ने हमें भरोसा दिया कि मंदिर का निर्माण उसी स्थल (अयोध्या में वहीं जो कि विवादों में है) पर होगा.’’ एक तीसरे संत ने धैर्य रखने की बात की और कहा, ‘‘वे (आरएसएस और बीजेपी) जो भी जरूरी है करेंगे (मंदिर निर्माण के लिए).’’


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आरएसएस प्रवक्ता विजय ठाकुर ने कहा कि हिंदू आचार्य सभा का आयोजन प्रत्येक दो वर्ष पर होता है जिसमें हिंदू समाज से संबंधित सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षणिक मुद्दों पर चर्चा होती है. हिंदू सभा में भागवत और शाह के अलावा राम माधव और सुब्रमण्यम स्वामी जैसे नेताओं ने भी हिस्सा लिया. स्वामी ने कहा कि दलीलें हिंदुओं के पक्ष में हैं कि उन्हें राममंदिर के लिए जमीन मिल जाएगी लेकिन सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवायी कब करेगा.


उन्होंने कहा,‘‘ (पूर्व प्रधानमंत्री) नरसिंह राव ने कहा था कि यदि यह साबित हो जाता है कि उसी स्थान पर एक मंदिर था तो हम जमीन हिंदुओं को दे देंगे, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने भी यह साबित किया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला दिया है कि नमाज के लिए मस्जिद जरूरी हिस्सा नहीं है जो कि कहीं भी की जा सकती है. सभी चीजें और दलीलें हमारे पक्ष में है.’’


उन्होंने कहा, ‘‘अब देखना है कि सुनवाई कब होती है और फैसला कब आता है.’’ बैठक राजकोट में अर्ष विद्या मंदिर में हुई जिसमें करीब 100 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. आरएसएस सहित हिंदुत्व संगठनों ने पिछले कुछ महीनों में मंदिर निर्माण जल्द करने को लेकर अपनी मांग तेज कर दी है और भागवत सहित कई इसके लिए कानून बनाने पर जोर दे रहे हैं.


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