राष्ट्रीय स्वयंसेव संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन मधुकरराव भागवत आज 70वां जन्मदिन मना रहे हैं. माधवराव सदाशिव गोलवलकर के बाद सबसे जवान सरसंघचालक के रूप में मोहन भागवत का नाम दर्ज है. उन्हें सिर्फ 59 की उम्र में संघ की कमान 2009 में मिली थी.
तीन पीढ़ी पुराना है आरएसएस से नाता
भागवत के परिवार का आएसएस से तीन पीढ़ी का नाता है. उनके दादा नारायण भागवत संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के सहपाठी हुआ करते थे. 1925 में संघ की स्थापना के बाद नारायण भागवत ने संघ का काम शुरू किया था. नारायण भागवत के बेटे मधुकर भागवत भी संघ के प्रचारक रह चुके हैं. मोहन भागवत के पिता और दादा दोनों वकील थे.
मोहन भागवत का प्रारंभिक जीवन
11 सितम्बर 1950 को महाराष्ट्र के सांगली में जन्मे मोहन भागवत ने 12वीं तक अपनी पढ़ाई चंद्रपुर से की है. इसके बाद भागवत ने अकोला के डॉ. पंजाबराव देशमुख वेटनरी कॉलेज में दाखिला ले लिया. पढ़ाई पूरी करने के बाद चंद्रपुर में ही उन्होंने एनिमल हसबेंडरी विभाग में बतौर वेटनरी ऑफिसर नौकरी शुरू कर दी.
आपातकाल के दौरान बने संघ प्रचारक
1975 में आपातकाल लगने के बाद भागवत के माता-पिता को जेल में डाल दिया गया. इसी दौरान भागवत भी संघ के प्रचारक बने. आपातकाल के दौरान वो अज्ञातवास में रहे. 1977 के बाद उन्होंने संघ में तेजी से तरक्की की. 1991 में उन्हें संघ में अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख का कार्यभार दिया गया है. वे इस पद पर 1999 तक रहे.
2000 में अचानक बने सरकार्यवाह
साल 2000 में तत्कालीन सरसंघचालक रज्जू भैया और सरकार्यवाह वीएन शेषाद्री ने स्वास्थ्य कारणों से अपने पद को छोड़ने की घोषणा की है. रज्जू भैया की जगह के.एस. सुदर्शन को नया सरसंघचालक चुना गया जबकि सरकार्यवाह के लिए दो नाम मदन दास देवी और मोहन भागवत का चल रहा था. आखिरकार मोहन भागवत सरकार्यवाह बने. आरएसएस में सरसंघचालक के बाद सरकार्यवाह का पद सबसे अहम होता है. सरकार्यवाह को स्वाभाविक तौर पर अगला उत्तराधिकारी माना जाता है.
2009 में बने संघ प्रमुख
लोकसभा चुनाव 2009 के दौरान 21 मार्च 2009 को अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में मोहन भागवत सरसंघचालक बनाया गया. सुदर्शन अपने सरसंघचालक के दायित्व से स्वास्थ्य कारणों के चलते मुक्त हो रहे थे. संघ प्रमुख बनते ही उन्होंने सबसे पहले बीजेपी का कायाकल्प किया. लगातार दो चुनाव हार चुकी बीजेपी के अध्यक्ष के रूप में नितिन गडकरी की ताजपोशी हुई. 2013 में संघ ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को सहमति दी जिनके नेतृत्व ने बीजेपी ने लगातार दो बार लोकसभा चुनाव में बहुमत का आंकड़ा पार किया है.