नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने आज कल चल रहे आंदोलनों पर तीखा प्रहार किया है. दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करने के दौरान महात्मा गांधी के विचारों की प्रमाणिकता को समझाते हुए उन्होंने कहा कि जब गांधी आंदोलन किया करते थे और उस दौरान कोई गड़बड़ी होती थी तो उसकी जिम्मेदारी वे स्वयं लेते थे, उसका प्रायश्चित करते थे. लेकिन आज कल के आंदोलनों की जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है. आंदोलन के दौरान यदि कोई पीटता है या फिर किसी को कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाना होता है तो सिर्फ प्रायश्चित और जिम्मेदारी उसी को लेनी होती है.


दरअसल, मोहन भागवत इतिहासकार प्रोफेसर जगमोहन सिंह राजपूत की किताब 'गांधी को समझने का यही समय' का विमोचन करने दिल्ली के गांधी स्मृति पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि गांधी जी ने स्वतंत्रता आंदोलन चलाया ऐसा नहीं है बल्कि देश को चलाने का जो दिग्दर्शक होना चाहिए वो उन्होंने दिया है. आज सब लोग गांधी जी को याद करते हैं और सम्मान से करते हैं. अभी तक हम उन्हें याद करते थे और उनके विचार मानते थे लेकिन उनके रास्ते पर नहीं चलते हैं. इसलिए कह सकते हैं कि यह गांधीजी के सपनो का भारत नहीं है. अभी तक उनके सपने पूरे नहीं हुए. लेकिन अब मैं घूमता हूं तो लगता है कि उनके सपनों का सकारीकरण होना शुरू हो गया है. गांधी जी स्वयं भारत की आवाज थे. भारत कैसा और क्या होगा, वही गांधी थे. इसीलिए उन्हें महात्मा कहा गया.


मोहन भागवत ने कहा कि गांधीजी ने कई बार कहा कि मैं कट्टर सनातनी हिन्दू हूं और मेरी अपनी पूजा पद्धति है. लेकिन वह कहते थे कि दूसरों के धर्म की इज्जत करो. यही धर्म है. शुरू के दिनों में वे तकनीक के विरोधी थे लेकिन समय के साथ माने. बावजूद इसके उनका मानना था कि जो कुछ भी विकास हो वह अन्तिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति के लिए हो.


मोहन भागवत ने कहा, ''गांधीजी का कई बार आंदोलन गड़बड़ हुआ. उसके लिए वो प्रायश्चित करते थे. जिम्मेदारी लेते थे. लेकिन आज जो आंदोलन चल रहे है, कोई गड़बड़ हो गई तो कोई प्रायश्चित करने वाला है? जिम्मेदारी लेने वाला है? प्रायश्चित तो वही करता है जो उसमें पीटा गया या जेल गया? डॉ हेडगेवार ने उस समय कहा था गांधीजी का स्मरण नहीं बल्कि अनुसरण करना चाहिए.''


संघ प्रमुख ने आगे कहा, ''शिक्षा में सत्य बताना चाहिए. शिक्षा में ये नहीं बताया जाना चाहिए कि ये मेरे पक्ष में हैं. ये तुम्हारे पक्ष में. हमारे समाज मे एक हजार वर्ष तक शिक्षा में भेदभाव हुआ. इसलिए शिक्षा में प्रमाणिकता होनी चाहिए. स्वतंत्रता के बाद भारत कैसे चलेगा गांधी जी ने साधन सुचिता रखा. अभी तक क्या हुआ, क्या नहीं हुआ ये अलग बात है. लेकिन अब तो उस पर ध्यान दे सकते हैं. इसलिए कह सकता हूं कि आज नहीं तो बीस साल बाद हम ये कह सकते हैं कि 2 अक्टूबर को कह सकेंगे कि बापू आप आइए और आज यहां रह सकते हैं.''


वहीं इस दौरान किताब के लेखक जगमोहन सिंह राजपूत ने कहा कि 1947 में हमे दो चीजें मिली थी. स्वतंत्रता तो मिली ही थी, हमें विभाजन भी मिला था. स्वतंत्रता का सब श्रेय ले रहे हैं लेकिन विभाजन के लिए कोई उत्तरदायी नहीं हो रहा है. जबकि संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि स्वच्छता अभियान लाल किले से शुरू हुआ और चल रहा है. आज गांधी जी होते तो उन्हें बहुत अच्छा लगता लेकिन राजनीति में स्वच्छता अभियान कब चलेगा. शानो सौकत से रहने वाले आज हमारे देश के राजनेता मुगलों से कम नहीं है. अब नई दिल्ली का निर्माण होने जा रहा है. नई संसद और नए भवन बनाकर लोगों को खुश किये जाने की तैयारी चल रही है लेकिन गांधी जी के विचारों के विपरीत होगा.