एक्सप्लोरर
Advertisement
दशहरे पर भागवत ने उठाया राम मंदिर और CAA का मुद्दा, CAA और राम मंदिर पर फैसले का भी किया जिक्र
मोहन भागवत ने कहा कि विजयादशमी के पहले ही 370 प्रभावहीन हो गया था. संसद में उसकी पूरी प्रक्रिया हुई. वहीं विजयादशमी के बाद नौ नवंबर को राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का असंदिग्ध फैसला आया. जिसे पूरे देश ने स्वीकार किया.
नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने आज विजयादशमी उत्सव के संबोधन के दौरान कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने, नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राम मंदिर का खास तौर से जिक्र किया. उन्होंने कहा कि देश और दुनिया में जितने भी विषयों पर चचार्एं हो रहीं थीं, वह सब कोरोना काल में दब गईं.
कोरोना के कारण नागपुर के रेशमबाग में सिर्फ 50 स्वयंसेवकों के साथ आयोजित इस कार्यक्रम को लेकर मोहन भागवत ने कहा कि संघ के इतिहास में पहली बार इतने कम स्वयंसेवकों की उपस्थिति में यह उत्सव हो रहा है. मोहन भागवत का संबोधन सुनने के लिए देश और दुनिया के स्वयंसेवक ऑनलाइन जुड़े.
धारा 370 हुए प्रभावहीन
भागवत ने कहा कि मार्च महीने में लॉकडाउन शुरू हुआ. बहुत सारे विषय उस दौरान दुनिया में चर्चा में थे. वे सारे दब गए. उनकी चर्चा का स्थान महामारी ने ले लिया. मोहन भागवत ने पिछले साल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और संसद में पास हुए नागरिकता संशोधन कानून का भी उल्लेख किया.
उन्होंने कहा, विजयादशमी के पहले ही 370 प्रभावहीन हो गया था. संसद में उसकी पूरी प्रक्रिया हुई. वहीं विजयादशमी के बाद नौ नवंबर को राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का असंदिग्ध फैसला आया. जिसे पूरे देश ने स्वीकार किया. पांच अगस्त को राम मंदिर निर्माण का जो पूजन हुआ, उसमें भी, उस वातावरण की पवित्रता को देखा और संयम और समझदारी को भी देखा.
नागरिकता संशोधन कानून से मुसलमानों को खतरा नहीं
आरएसएस के इस प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा, नागरिकता संशोधन कानून भी संसद की पूरी प्रक्रिया के बाद पास हुआ. पड़ोसी देशों में दो तीन देश ऐसे हैं, जहां सांप्रदायिक कारणों से उस देश के निवासियों को प्रताड़ित करने का इतिहास है. उन लोगों को जाने के लिए दूसरी जगह नहीं है, भारत ही आते हैं. विस्थापित और पीड़ित यहां पर जल्दी बस जाएं, इसलिए अधिनियम में कुछ संशोधन करने का प्रावधान था. जो भारत के नागरिक हैं, उनके लिए कुछ खतरा नहीं था.
मोहन भागवत ने कहा, ''नागरिकता संशोधन अधिनियम कानून का विरोध करने वाले भी थे. राजनीति में तो ऐसा चलता ही है. ऐसा वातावरण बनाया कि इस देश में मुसलमानों की संख्या न बढ़े, इसलिए नियम लाया. जिससे प्रदर्शन आदि होने लगे. देश के वातावरण में तनाव होने लगा. इसका क्या उपाय हो, यह सोच विचार से पहले ही कोरोना काल आ गया. मन की सांप्रदायिक आग मन में ही रह गई. कोरोना की परिस्थिति आ गई. जितनी प्रतिक्रिया होनी थी, उतनी नहीं हुई. पूरी दुनिया में ऐसा ही दिखता है. बहुत सारी घटनाएं हुईं हैं, लेकिन चर्चा कोरोना की ही हुई.''
उन्होंने कहा, ''इस महामारी के संदर्भ में चीन की भूमिका संदिग्ध रही यह तो कहा ही जा सकता है, परंतु भारत की सीमाओं पर जिस प्रकार से अतिक्रमण का प्रयास अपने आर्थिक सामरिक बल के कारण मदांध होकर उसने किया वह तो सम्पूर्ण विश्व के सामने स्पष्ट है.''
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, न्यूज़ और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
महाराष्ट्र
आईपीएल
साउथ सिनेमा
Advertisement
विनोद बंसलवीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता
Opinion