यूपीः मोहन भागवत ने कहा- हमारे देश की संस्कृति हिंदू, जिसमें सभी धर्मो का समावेश है
सर संघ चालक ने कहा कि कमजोर होना पाप है इसलिए हमे अपने देश के हर नागरिक को मजबूत बनाना है. वह किसी भी वर्ग का हो हम सब एक हैं. संघ प्रमुख ने कहा की हमारे देश की संस्कृति अध्यात्म की है और यही हमारी पहचान है.
मुरादाबाद (यूपी): राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत ने उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि संघ चुनाव जीतने के लिए काम नहीं करता. उन्होंने कहा कि हमारे पास कोई रिमोट कंट्रोल नहीं है. हम रिमोट कंट्रोल से स्वंयसेवकों पर काबू नहीं कर सकते. इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर ये शाखा में नहीं आएंगे तो हम इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं. सब प्रेम का मामला है. संघ से जुड़े लोग अलग-अलग वर्गों में स्वतंत्र रूप से काम करते हैं.
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए संघ ने कहा कि हमारी शाखाओं में कोई रजिस्टर नहीं होता है जिससे कि शाखा में न आने पर किसी की सदस्यता ख़त्म कर दी जाए. संघ प्रमुख ने कहा कि किसी भी धर्म, वर्ग, जाति या भाषा का बोलने वाला हो उसकी प्रार्थना पद्धति कुछ भी हो सब को मिलकर देश हित में काम करना चाहिए.
'देश की पहचान सबसे कमजोर व्यक्ति से होती है'
देश प्रेम और अनेकता में एकता का पाठ पढ़ाते हुए मोहन भागवत ने कहा कि भाषा और पूजा का तरीका अलग अलग होने के बावजूद हम सब हिंदू हैं और इसलिए हिंदू को एकजुट करने की बात करते हैं हमारे देश की संस्कृति हिंदू है जिसमे सभी धर्मो का समावेश है.
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि देश की पहचान उसके सबसे कमजोर व्यक्ति से होती है अगर वो भूखा है तो देश भूखा है. अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि शक्तिशाली होने के लिए यहां की सरकार मानवाधिकारों का हनन करती है.
'देश के हर नागरिक को मजबूत बनाना है'
सर संघ चालक ने कहा कि कमजोर होना पाप है इसलिए हमे अपने देश के हर नागरिक को मजबूत बनाना है. वह किसी भी वर्ग का हो हम सब एक हैं. संघ प्रमुख ने कहा की हमारे देश की संस्कृति अध्यात्म की है और यही हमारी पहचान है.
अपने कार्यकर्ताओं को कहावतों के जरिए हर रोज शाखा में आकर रियाज करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि मानव जाति की कल्याण के लिए हमलोगों को बिना किसी आशीर्वाद और उम्मीद के काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि चाहे इतिहास में हमारा नाम आये या न आये हमे मानवता के कल्याण के लिए काम करना होगा.
मोहन भागवत ने कहा कि जो लोग नाराज़ हैं वो भी हमारे ही हैं हमे उनको भी साथ लेकर चलना है. उन्होंने भारतीय संविधान के चार मुख्य बिंदुओं का पालन करने का आवाहन करते हुए कहा की संविधान की जो मूल भावना है वो कभी नहीं बदलती और हमे मिलकर आगे बढ़ना है.
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