Mohan Bhagwat News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार (9 अप्रैल) को मुंबई में एक समारोह को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत के 'विश्वगुरु' बनने की दिशा में प्रगति को धीमा करने के लिए उसके बारे में गलत धारणाएं और विकृत जानकारी फैलाई जा रही हैं. असुरी शक्तियां हमें मारने का प्रयास करेंगी. इससे लड़ने के लिए हमें लोगों को तैयार करना पड़ेगा.


भागवत ने कहा कि 1857 के बाद (प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद) देश के बारे में इस तरह की भ्रांतियां फैलाई गईं, लेकिन स्वामी विवेकानंद ने ऐसे तत्वों को मुंहतोड़ जवाब दिया. उन्होंने कहा कि ये गलत धारणाएं हमारी प्रगति को धीमा करने के लिए फैलाई जा रही हैं क्योंकि दुनिया में कोई भी तर्क के आधार पर हमसे बहस नहीं कर सकता है.  


'हमारा देश विश्वगुरु बनेगा'


मोहन भागवत ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश विश्वगुरु बनेगा. मैं अगले 20-30 साल में भारत को विश्वगुरु बनते देख रहा हूं. इसके लिए पीढ़ियों को तैयार करना है. इससे पहले भागवत ने शनिवार को संगठित कार्य शक्ति की महत्ता पर जोर देते हुए कहा था कि हम विश्व मंगल साधना के मौन पुजारी हैं. साथ ही उन्होंने कार्यकर्ताओं से सेवा के लिए उपयुक्त एवं उत्कृष्टता पूर्ण कार्यकर्ता बनने का संकल्प लेने का आह्वान किया था. 


'निस्वार्थ मन से सेवा करें'


निस्वार्थ सेवा पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता कार्य के स्वभाव के साथ तन्मय होता है, तब कार्य होता है. कार्य के अनुरूप कार्यकर्ता हो, ऐसी समझ हमें विकसित करनी है. सेवा कार्य मन की तड़प से होते हैं. हमें विश्व मंगल के लिए काम करना है. इसलिए काम करने वालों का बड़ा समूह खड़ा करना है. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से बिना स्वार्थ के सामाजिक सेवा करने का आग्रह किया. 


'एक बेहतर दुनिया के लिए काम करना है'


उन्होंने कहा कि हमें एक बेहतर दुनिया के लिए काम करना है. हमें प्रसिद्धि पाने से दूर रहना चाहिए. यदि आप समाज सेवा करते हैं तो आप लोकप्रिय होंगे, लेकिन आपको इस पर ध्यान नहीं देना चाहिए. आपका अहंकार बाधा नहीं होना चाहिए. अगर आप जन कल्याण के लिए काम करना चाहते हैं तो आपको विनम्र होना चाहिए, आक्रामक नहीं होना चाहिए.


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