इंटरनेट और तकनीक का जिक्र करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने चीन को लेकर कही ये बात
Independence Day 2021: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि स्वदेशी होने का मतलब है कि अपनी शर्तों पर कारोबार करें. स्वदेशी का मतलब आत्मनिर्भरता और अहिंसा है.
Independence Day 2021: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा कि अगर तकनीक को लेकर चीन पर निर्भरता बढ़ी तो हमे उसके सामने झुकना होगा. स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में उन्होंने ये बात कही. संघ प्रमुख ने कहा कि हम इंटरनेट और तकनीक का उपयोग करते हैं. हमारे पास इसकी वास्तविक तकनीक नहीं है और इसे बाहर से प्राप्त करते हैं. हम चीन पर बोल सकते हैं और बहिष्कार का आह्वान कर सकते हैं लेकिन आपके मोबाइल पर सब कुछ आता कहां से है? चीन पर निर्भरता बढ़ी तो हमें उसके सामने झुकना होगा.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि स्वदेशी का ये मतलब नहीं कि सभी चीजों को छोड़ दें. अंतरराष्ट्रीय व्यापार हमारी शर्तों पर जारी रहेगा. इसके लिए हमें आत्मनिर्भर बनना होगा. आत्मनिर्भरता रोजगार पैदा करती है. नहीं तो हमारी नौकरी चली जाती है और हिंसा का रास्ता खुल जाता है. इसलिए स्वदेशी का अर्थ आत्मनिर्भरता और अहिंसा है.
#WATCH | We use internet&technology. We don't have its actual technology&get it from outside. We might speak on China&call for boycott but where does everything on your mobile come from? If dependency on China increases, we'll have to bow before them: RSS Chief Mohan Bhagwat(1/2) pic.twitter.com/QpihPYKcCd
— ANI (@ANI) August 15, 2021
मोहन भागवत ने कहा कि विकेंद्रीकृत उत्पादन से भारतीय अर्थव्यवस्था को रोजगार एवं स्व-रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए एक "नियंत्रित उपभोक्तावाद" आवश्यक है. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जीवन स्तर इस बात से तय नहीं होना चाहिए कि हम कितना कमाते हैं, बल्कि इस बात से तय होना चाहिए कि हम लोगों के कल्याण के लिए कितना वापस देते हैं. उन्होंने कहा, “ हम खुश होंगे जब हम सबके कल्याण पर विचार करेंगे. खुश रहने के लिए हमें बेहतर आर्थिक स्थिति की जरूरत होती है और इसके लिए हमें वित्तीय मजबूती की आवश्यकता होती है.”
भागवत ने कहा कि ‘स्वदेशी’ होने का मतलब “अपनी शर्तों पर” कारोबार करना होता है. उन्होंने कहा, “सरकार का काम उद्योगों को सहायता एवं प्रोत्साहन देना है. सरकार को देश के विकास के लिए जो जरूरी है उसका उत्पादन करने के निर्देश देने चाहिए.” सरसंघचालक ने कहा कि उत्पादन जन केंद्रित होना चाहिए. साथ ही कहा कि ध्यान शोध एवं विकास, सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) और सहकारी क्षेत्रों पर केंद्रित होना चाहिए.