(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
बिना नाम लिए मोहन भागवत का ट्रंप पर निशाना, कहा-विकसित देश व्यापार बढ़ाने के लिए अपनी शर्तें मनवाना चाहते हैं
आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) प्रमुख मोहन भागवत ने झारखंड के रांची में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि राष्ट्रवाद की जगह राष्ट्र या राष्ट्रीय जैसे शब्दों का इस्तेमाल होना चाहिए.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि राष्ट्रवाद शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. भागवत ने इसकी वजह यह बताई है कि अगर लोग राष्ट्रवाद शब्द का प्रयोग करते हैं तो इसका मतलब नाज़ी या हिटलर का राष्ट्रवाद होता है.
दरअसल मोहन भागवत झारखंड के रांची स्थित मोहारबादी में आयोजित 'संघ समागम' में हिस्सा लेने पहुंचे थे और तभी उन्होंने ये बातें कहीं. भागवत ने कहा,'' राष्ट्रवाद शब्द का उपयोग मत कीजिए. नेशन कहेंगे चलेगा, नेशनल कहेंगे चलेगा, नेशनलिटी कहेंगे चलेगा, नेशनलिजम मत कहो. नेशनलिजम का मतलब होता है हिटलर का निजावाद''
#WATCH Ranchi: RSS chief recounts his conversation with an RSS worker in UK where he said "...'nationalism' shabd ka upyog mat kijiye. Nation kahenge chalega,national kahenge chalega,nationality kahenge chalgea,nationalism mat kaho. Nationalism ka matlab hota hai Hitler,naziwaad. pic.twitter.com/qvibUE7mYt
— ANI (@ANI) February 20, 2020
भागवत ने कहा कि भारत को बनाने में हिन्दुओं की जवाबदेही सबसे अधिक है. हिंदू अपने राष्ट्र के प्रति और जिम्मेदार बनें. उन्होंने कहा कि 'हिंदू' भारत के सभी धर्मों का प्रतिनिधित्व करता है और उन्हें एक सूत्र में जोड़ता है.
विकसित देश व्यापार बढ़ाने के लिए अपनी शर्तें मनवाना चाहते हैं
मोहन भागवत ने कहा कि RSS का विस्तार देश के लिए है क्योंकि भारत को विश्वगुरू बनाना हमारा लक्ष्य है. डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए बिना भागवत ने कहा कि विकसित देश क्या करते हैं, वो अपने व्यापार को हर देश में फैलाना चाहते हैं. इसके जरिए वो अपनी शर्तों को मनवाना चाहते हैं.
हाल में ही आंदोलन को लेकर दिया था बड़ा बयान
दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने हाल में ही महात्मा गांधी के विचारों की प्रमाणिकता को समझाया था. उन्होंने कहा कि जब गांधी आंदोलन किया करते थे और उस दौरान कोई गड़बड़ी होती थी तो उसकी जिम्मेदारी वे स्वयं लेते थे, उसका प्रायश्चित करते थे. लेकिन आज कल के आंदोलनों की जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है. आंदोलन के दौरान यदि कोई पीटता है या फिर किसी को कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाना होता है तो सिर्फ प्रायश्चित और जिम्मेदारी उसी को लेनी होती है.
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