Mohan Bhagwat: नागपुर में संघ मुख्यालय में शनिवार को विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्र पूजा की. इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने बांग्लादेश, कोलकाता रेप-मर्डर, देश में बढ़ती हिंसक घटनाओं, इजराइल-हमास युद्ध और जुलूसों पर पथराव जैसे मुद्दों पर अपनी राहत. 


अपने संबोधन में उन्होंने उन्होंने भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहने का मंत्र भी दिया.  उन्होंने अहिल्‍याबाई होल्‍कर और दयानन्द सरस्वती द्वारा देश सेवा के लिए किए गए कार्यों का भी जिक्र किया.


कमजोर होने से काम नहीं चलेगा


जुलूसों पर पथराव के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के कुकर्मों के लिए पूरे समुदाय को दोषी ठहराने वाली हिंसा असंतोष नहीं, बल्कि बदमाशी है. हाल में ही विसर्जन जुलूस पर पथराव हुआ. ऐसा क्यों हुआ? पुलिस आकर हालात संभालने चाहिए थे, लेकिन जब तक पुलिस नहीं आती है तब तक समाज को इसके लिए खड़ा होना होगा. समाज को इसका सामना मजबूती से करना होगा. किसी को भी धमकाया नहीं जाना चाहिए. पुलिस के आने तक अपने जीवन की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है.


उन्होंने आगे कहा कि मैं यह बात किसी को डराने के लिए नहीं कह रहा हूं. मैं यह बात किसी से लड़ने के लिए नहीं कह रहा हूं. लेकिन समाज को सशक्त और सतर्क रहने की जरूरत है. कमजोर होने से काम नहीं चलेगा. 


महारानी दुर्गावती, महारानी होल्कर और महर्षि दयानंद को भी किया याद


अपने संबोधन में उन्होंने कहा, "आज संघ को 100 साल पूरे हो रहे हैं. ये विशेष इसलिए भी है क्योंकि महारानी दुर्गावती, महारानी होल्कर और महर्षि दयानंद का भी 200वां जन्म जयंती वर्ष चल रहा है. इनकी याद करना इसलिए जरूरी है कि इन लोगों ने देश, समाज और संस्कृति के हित में काम किया."


दयानंद सरस्वती को याद करते हुए मोहन भागवत ने कहा, "लंबी गुलामी के बाद जो भारत का पुनरुत्थान शुरू हुआ, उसके पीछे दयानंद सरस्वती थे. अपने मूल को समझकर काल सुसंद आचरण करें. उन्होंने जनों की जागरूक करने का महा प्रयास किया है. उनकी वजह से ही आगे चलकर कई तरह के आंदोलन भी हुए. आज उनको याद करने का भी समय है."