नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आरोप है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के नाम से संविधान की एक फर्जी किताब प्रसारित की जा रही है. इस किताब का मोहन भागवत से कोई लेना देना नहीं है. संघ के मुताबिकस ये संघ को बदनाम करने की साजशि रची जा रही है. संघ ने मांग की है कि मामले की फौरन जांच की जाए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए . बता दें कि 'नया भारतीय संविधान' नाम से किताब को डिजिटल फॉर्मेट में वायरल हो गई है.


सोलह पेज की इस किताब को मोदी राज में नया संविधान बताया जा रहा है. पहले पन्ने पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की फ़ोटो लगी है. इस किताब में संघ और प्रधान मंत्री के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं. आरएसएस के नगर कार्यवाह तुलाराम निमेश ने एफ़आईआर दर्ज करवाई है.


नया भारतीय संविधान किसने लिखा ? किसने छपवाया ? या फिर कौन बाँट रहा है ? ये अब तक पता नहीं चल पाया है. अब लखनऊ पुलिस इस पूरे मामले की जाँच करेगी. इस सिलसिले में शहर के दो पुलिस थानों गोमतीनगर और हज़रतगंज में मुक़दमा दर्ज हुआ है. सोशल मीडिया पर नया भारतीय संविधान वायरल हो रहा है. जब कुछ लोगों ने ये किताब पढ़ी तो संघ के लखनऊ कार्यालय से पूछताछ की.


पूछताछ में बताया गया कि आरएसएस का इस किताब से कोई लेनादेना नहीं है. ये दुष्प्रचार किया जा रहा है कि ये किताब संघ की है. इस बुक में लिखा गया है कि भारत का नया संविधान इस साल 15 मार्च से लागू हो जाएगा. अगर किसी के पास कोई सुझाव है तो संविधान लागू होने पहले उसे प्रधान मंत्री कार्यालय भेज सकते हैं. हर अच्छे सुझाव पर दस हज़ार रूपये का ईनाम मिलेगा.