Dalit Christians-Muslims Quota: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) जन संचार विंग विश्व संवाद केंद्र नोएडा में अनुसूचित जाति (SC) के लोगों पर चर्चा करने के लिए दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित करने जा रही है. इस सम्मेलन में इस बात पर चर्चा की जाएगी कि जिन समूहों ने इस्लाम और ईसाई धर्म अपना लिया है उन्हें आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए या नहीं. 


4 मार्च से शुरू होने वाले सम्मेलन का आयोजन गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के सहयोग से किया जा रहा है. सूत्रों ने कहा कि इस कार्यक्रम में जूरिस्ट, एकेडमिक्स, रिसर्च स्टूडेंट्स, स्वयंसेवी संगठनों और यहां तक ​​कि कुछ पूर्व राजनयिकों की भागीदारी भी देखने को मिलेगी. इवेंट कोऑर्डिनेटर प्रवेश चौधरी ने बताया कि 'सच्चर कमेटी के गठन, रंगनाथ मिश्रा आयोग और उसकी सिफारिश के बाद देश में अनुसूचित जाति के भाइयों के बीच यह स्थिति पैदा हो गई है कि धर्मांतरित ईसाइयों और मुसलमानों को आरक्षण मिलना चाहिए या नहीं. 


इस मुद्दे को लेकर दो विचारों में बंटा है समाज


इस मुद्दे को लेकर लंबे समय से समाज में चर्चा भी चल रही है. कुछ लोगों का मानना ​​है कि धर्मांतरित ईसाई और मुसलमानों को हिंदू धर्म से धर्मांतरित होने के बाद भी अपनी सामाजिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं दिखता है. दूसरी ओर देश के बहुसंख्यक समाज का मानना ​​है कि अनुसूचित जाति जिसका धर्म हिंदू धर्म है उन्हें संविधान की तरफ से दी गई सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए. 


आरक्षण देने के पक्ष में विश्व हिंदू परिषद 


इस आयोजन को लेकर विश्व हिंदू परिषद (VHP) के विजय शंकर तिवारी ने कहा कि वीएचपी की पहले की स्थिति यह थी कि अनुसूचित जाति जो ईसाई और इस्लाम में परिवर्तित हो गए, उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए. चौधरी ने कहा कि वह उन लोगों को आरक्षण देने के पक्ष में हैं जो 'घर वापसी' करते हैं. 


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