नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी समझे जाने वाले दत्तात्रेय होसबोले को आरएसएस का सरकार्यवाह बनाकर क्या संघ अब दक्षिण भारत में अपनी जड़ें मजबूत करना चाहता है? दूसरा और अहम सवाल यह भी कि क्या किसान आंदोलन का जवाब अब संघ देगा, जिसकी अगुवाई संघ में नंबर दो की ताकत पाने वाले दत्तात्रेय करेंगे? बेंगलुरु में दो दिन तक चली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का लुब्बे लुबाब यही निकलता है कि मोदी सरकार ने किसान आंदोलन की काट निकालने की कमान अब संघ के हाथों में सौंप दी है.
नव संवत्सर यानी 13 अप्रैल से संघ ने किसानों को जागरूक करने के उद्देश्य से जो देशव्यापी अभियान छेड़ने का ऐलान किया है,उसका असली मकसद ही विपक्षी दलों के समर्थन से फलफुल रहे किसान आंदोलन की हवा निकालना है. इस अभियान को 'भूमि सुपोषण और ग्राम विकास' का नाम दिया गया है और इसमें खेती के क्षेत्र में काम कर रहे एनजीओ और धार्मिक संस्थाओं को भी जोड़ा जायेगा.
संघ की छात्र इकाई ABVP में 15 साल तक काम करने वाले दत्तात्रेय का नाता कर्नाटक के शिमोगा जिले के 'होसबोले' गांव से है, जो मुख्य रुप से ब्राह्मणों का गांव है. छह भाषाओं में पारंगत होसबोले को डायनमिक यानी बहुआयामी, खुशमिजाज व मिलनसार व्यक्त्वि माना जाता है. सह सर कार्यवाह रहते हुए उन्होंने दक्षिण के साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों में भी संघ की शाखाओं का विस्तार करने में सफलता पाई है, जिसके कारण ही बीजेपी कर्नाटक व असम में सरकार बनाने में सफल होती आई है.
साल 2025 में अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे करने वाले संघ को अब यह अहसास हो चुका है कि अगर राष्ट्र में हिंदुत्व की जड़ों को मजबूत करना है, तो संघ में भी हर भाषा-वर्ग के स्वयंसेवक को समुचित ताकत देनी ही होगी. अब तक संघ में मराठी भाषियों का ही एक तरह से वर्चस्व था, लेकिन अब चीजें बदल रही हैं और दत्तात्रेय का नंबर दो की हैसियत में आना उसी का नतीजा है. क्योंकि संघ में संगठन से जुड़े सारे फैसले सरकार्यवाह ही लेते हैं. हो सकता है कि सरसंघचालक मोहन भागवत भविष्य में अपने उत्तराधिकारी के लिए भी किसी दक्षिण भारतीय का ही नाम सुझाएं.
इसे संयोग कहा जाये या फिर दक्षिण भारत में भगवा लहराने की रणनीति माना जाए कि आज संघ व बीजेपी के अहम पदों पर दक्षिण का ही कब्जा है. संघ व बीजेपी के बीच सेतु की भूमिका निभाने वाले पार्टी के संगठन महामंत्री वी. संतोष भी कर्नाटक से ही हैं. इसी तरह संघ की महिला इकाई राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांता कुमारी का संबंध भी बेंगलुरु से है. जबकि उनकी नंबर दो सह सरकार्यवाहिका गायत्री सीता अन्नादानं आंध्र प्रदेश से हैं. इससे साफ जाहिर है कि संघ का अगला लक्ष्य दक्षिण के सभी राज्यों में बीजेपी को सत्ता में लाना है.