नई दिल्ली: 2019 के करीब आता देख और बदलते सियासी फिजा के बीच रमज़ान का मौका पाकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने अपनी छवि सुधारने की कोशिश में बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है. संघ इफ्तार के बाद अब नागपुर में ईद मिलन समारोह आयोजित करेगा.


ईद मिलन समारोह आयोजित करने की जिम्मेदारी संघ से जुड़े संगठन राष्ट्रीय मुस्लिम मंच को दी गई है, जो अगस्त में इसे नागपुर में आयोजित करेगा.


जब से बीजेपी सत्ता में आई है, आरएसएस मुसलमानों के करीब आने और लाने की लगातार कोशिश कर रहा है. इस कड़ी में सबसे पहले राष्ट्रीय मुस्लिम मंच गठन, उसके बाद इफ्तार की पार्टी और अब ईद मिलन का आयोजन उदाहरण है.


सियासी जानकारों का मानना है कि आरएसएस का ये कदम 2019 लोकसभा चुनाव से पहले मुसलमानों को अपने पाले में करने की कोशिश का हिस्सा है.


गौरतलब है कि मुस्लिम समुदाय तक अपनी पहुंच बनाने के लिए साल 2015 में आरएसएस की ओर से ऐसे आयोजनों की शुरुआत हुई थी. इसकी जिम्मेदारी आरएसएस के प्रचारक इंद्रेश कुमार के पास है. उन्होंने कल मुंबई में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था. जिसपर विवाद भी उभर के सामने आए हैं.


समाजवादी पार्टी नेता अबू आसिम आजमी ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण के लिए ईंटें भेजने वाले मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की इफ्तार पार्टी एक ढोंग के सिवा कुछ नहीं. इस तरह के आयोजन की निंदा और बहिष्कार किया जाना जरूरी है. देश का मुस्लिम वर्ग आरएसएस के हिंदुत्वादी एजेंडे की वजह से काफी नाराज रहता है. यही वहज है मुस्लिम संगठन आरएसएस से दूरी बनाए रखते हैं.


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