'सभी के विकास के लिए हो जातिगत जनगणना, देश की एकता को नहीं पहुंचे नुकसान', Caste Census पर बोला आरएसएस
Caste Census in India: देश में पिछले कुछ महीनों से जातिगत जनगणना की मांग की जा रही है. इस मांग को उठाने में कांग्रेस पार्टी सबसे आगे है.
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Caste Census: बिहार में हुए जातिगत सर्वे के बाद से ही जातिगत जनगणना की मांग ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है. जातिगत जनगणना के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा है कि उसका मानना है कि इसका इस्तेमाल सर्वांगीण विकास के लिए किया जाए. मगर ऐसा करते वक्त सामाजिक समरसता और एकता को नुकसान नहीं पहुंचे. कांग्रेस समेत विपक्षी दलों की तरफ से देश में जातिगत जनगणना की मांग की जा रही है.
जातिगत जनगणना एक ऐसा मुद्दा है, जिसके जरिए विपक्ष बीजेपी पर बढ़त बनाना चाहता है. कांग्रेस ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कहा था कि उसकी सरकार बनने पर वह जातिगत सर्वे करवाएगी. ऐसे में इस बात की भी पूरी उम्मीद जताई जा रही है कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन के चुनावी वादे में जातिगत जनगणना का मुद्दा रहने वाला है.
आरएसएस ने अपने बयान में क्या कहा?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर की तरफ से एक बयान जारी किया गया है. इसमें बताया गया है कि आरएसएस की जातिगत जनगणना पर क्या राय है. आरएसएस के बयान में कहा गया, 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किसी भी प्रकार के भेदभाव और विषमता से मुक्त समरसता एवं सामाजिक न्याय पर आधारित हिंदू समाज के लक्ष्य को लेकर सतत कार्यरत है. यह सत्य है कि विभिन्न ऐतिहासिक कारणों से समाज के अनेक घटक आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़ गए.'
बयान में आगे कहा गया, 'उनके विकास, उत्थान एवं सशक्तिकरण की दृष्टि से विभिन्न सरकारें समय-समय पर अनेक योजनाएं एवं प्रावधान करती हैं, जिनका संघ पूर्ण समर्थन करता है. पिछले कुछ समय से जाति आधारित जनगणना की चर्चा दोबारा शुरू हुई है. हमारा यह मत है कि इस का उपयोग समाज के सर्वांगीण उत्थान के लिए हो और यह करते समय सभी पक्ष यह सुनिश्चित करें कि किसी भी कारण से सामाजिक समरसता एवं एकात्मकता खंडित ना हो.'
आरएसएस हमेशा दो मुखी बात करता है: दिग्विजय सिंह
आरएसएस के जातिगत जनगणना को लेकर दिए गए बयान पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि आरएसएस हमेशा दो मुखी बात करता है. पिछड़ों के बीच कहेंगे हम जाति जनगणना के खिलाफ नहीं हैं. अगड़ों के बीच कहेंगे कि ये बांटने के लिए किया जा रहा है. उनकी बातों को अहमियत नहीं देनी चाहिए.
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