Muslim Rashtriya Manch Praise Assam CM: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े मुस्लिम संगठन की असम इकाई ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 को निरस्त करने के हिमंत बिस्वा सरमा सरकार के फैसले का समर्थन किया है. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने कहा कि अधिनियम को हटाने से राज्य में बाल विवाह की समस्या को खत्म करने में मदद मिलेगी.
संगठन की असम इकाई के संयोजक अलकास हुसैन ने रविवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि कानून को रद्द करके असम सरकार मुस्लिम लड़कों और लड़कियों को खतरनाक स्थिति से बचा सकती है.
हिमंत बिस्वा सरमा के बयान को सराहा
उन्होंने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के हालिया बयान की सराहना की जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार असम में 5-6 साल की लड़कियों की शादी की दुकान बंद कर देगी. उन्होंने मुस्लिम विधायकों के एक वर्ग की उनकी राजनीति के लिए आलोचना की.
AIUDF ने दी है कोर्ट जाने की धमकी
असम में अल्पसंख्यक-आधारित ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन इस अधिनियम पर भाजपा सरकार के फैसले की जमकर आलोचना कर रहे हैं. AIUDF ने यह दावा करते हुए अदालत जाने की धमकी दी है कि सरकार का कदम 1880 के काजी अधिनियम के साथ-साथ काजियों के भी खिलाफ है. इसमें यह भी दावा किया गया कि राज्य कैबिनेट के पास काजी अधिनियम को खत्म करने की कोई शक्ति नहीं है जो एक केंद्रीय अधिनियम है.
तीन तलाक पर बैन के लिए पीएम मोदी को सराहा
हुसैन ने तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा, "हम समान नागरिक संहिता लागू करने की सरकार की योजना का भी समर्थन करते हैं क्योंकि एक देश के लिए एक कानून होना चाहिए."
CAA को लेकर इंतजार करने को कहा
मंच ने असम के लोगों से जनवरी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान के बाद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम का विरोध नहीं करने की सलाह दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि इसे लोकसभा चुनाव से पहले अधिसूचित और लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा, "चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है, इसलिए हमें अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए."
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