नई दिल्ली: अमेरिकी खुदरा कंपनी वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट के बीच हुई डील के विरोध में आवाजें उठने लगी है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से संबंधित संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने कहा है कि सौदे से देसी कारोबार चौपट हो जाएगा. इस मामले में संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 'राष्ट्र हित' में हस्तक्षेप की मांग की है.
स्वदेशी जागरण मंच ने प्रधानमंत्री को इस विषय पर पत्र लिखा है और उनसे ये सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि समाज के निचले पायदान के लोगों के हितों के साथ देश के कृषि क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. मंच ने वॉलमार्ट द्वारा फ्लिपकार्ट के अधिग्रहण को भारतीय बाजार में उसके द्वारा पिछले दरवाजे से प्रवेश का प्रयास बताया है. मंच ने आरोप लगाया है कि इससे छोटे और मझोले कारोबारी और छोटे दुकानदारों पर गहरा असर पड़ेगा.
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक अरुण ओझा ने कहा कि इस सौदे से छोटे कारोबारियों का कारोबार चौपट हो जाएगा और इससे देशभर में 20-22 करोड़ परिवार प्रभावित होंगे. ओझा ने कहा, "हमारा विरोध देश में ई-कॉमर्स के क्षेत्र में विदेशी निवेश को लेकर है. वालमार्ट और फ्लिपकार्ट के सौदे से वालमार्ट ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों के जरिए देश के बाजार पर इस विदेशी कंपनी का प्रभुत्व कायम हो जाएगा और छोटे-छोटे कारोबारियों का कारोबार चौपट हो जाएगा.
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वहीं मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि विदेशी निवेश इक्विटी के जरिए होना चाहिए. रिटेल कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उचित नहीं है. लिहाजा, सरकार को इस पर रोक लगाने के लिए कदम उठाना चाहिए. महाजन ने कहा, "वालमार्ट पहले से ही होलसेल और लॉजिस्टिक्स में अपना साम्राज्य बना लिया है. फ्लिपकार्ट के साथ इसके सौदे से रिटेल कारोबार में इसका प्रभुत्व कायम हो जाएगा."
आपको बता दें कि वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट की 77 प्रतिशत हिस्सेदारी करीब 16 अरब डॉलर ( 1.05 लाख करोड़ रुपये ) में खरीदने की घोषणा की है.
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