वरिष्ठ पत्रकार अशुतोष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल को लेकर कहा है कि इस समय उनकी स्थिति उतनी मजबूत नहीं हैं. राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ पीएम मोदी को विपक्ष को लेकर सीख दे रहा है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (RSS) ने पुणे में मंत्री के खिलाफ आवाज उठाई, जबकि पिछले 10 सालों में उसने कभी ऐसी हिम्मत नहीं दिखाई. आशुतोष ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी इस समय संघ, सहयोगी दलों, विपक्ष और अपने लोगों से घिरे हैं. उन पर चारों तरफ से हमले हो रहे हैं और अगर इनसे सरकार कमजोर हो जाएगी तो ये चारों उन पर हावी हो जाएंगे और मनमुताबिक काम करवाने की कोशिश करेंगे. 


आशुतोष ने कहा, 'सबसे बड़ा हमला संघ परिवार की तरफ से है. पहली बार पुणे में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लोग कह रहे हैं कि ये मंत्री निकम्मा है और उसको बदल देना चाहिए. ये आवाज पिछले 10 सालों में नहीं सुनी गई थी. एबीवीपी की इतनी हिम्मत कैसे हो गई. राष्ट्रीय सस्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक अहंकार की बात कर रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी को सीख दे रहे हैं कि विपक्ष आपका दुश्मन नहीं होता, आपका प्रतिपक्ष होता है. ये सारी बातें प्रधानमंत्री को लेकर थीं.'


उन्होंने आगे कहा कि दूसरा सवाल ये है कि राहुल गांधी ने जब पहली प्रेस कांफ्रेंस की उसमें साफ तौर पर कहा कि प्रधानमंत्री का साइक्लॉजिकल ब्रेकडाउन हो गया है. तो प्रधानमंत्री को सबल और एग्रेसिव विपक्ष से भी निपटना है. आशुतोष ने बीजेपी के सहयोगी दलों का जिक्र करते हुए कहा कि तीसरी बात ये पीएम मोदी को अच्छी तरह से मालूम है कि उनकी सरकार टीडीपी, नीतीश कुमार और चिराग पासवान के 33 सांसदों पर निर्भर है. वह जानते हैं कि ये तीनों मिलकर कभी भी उनकी सरकार को गिरा सकते हैं इसलिए उनको भी हैंडल करना है.


आशुतोष ने यह भी कहा कि बीजेपी में भी ऐसे लोग हैं जो गड़बड़ कर सकते हैं. उन्होंने कहा, पार्लियामेंट्री पार्टी मीटिंग को जो बीजेपी की होनी चाहिए थी, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी को नेता चुना जाना चाहिए था, वो मीटिंग नहीं हुई. उसकी जगह एनडीए की मीटिंग हुई, जिसमें पार्टी पदाधिकारियों के साथ राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए. मैंने तो कभी किसी पार्टी की पार्लियामेंट्री मीटिंग में संसदीय दल के साथ बाहरी लोगों को बैठे हुए नहीं देखा है. उसमें सिर्फ सांसद ही बैठते हैं.'


उन्होंने कहा कि अगर इन चार चीजों से सरकार कमजोर हो जाएगी तो ये चारों उन पर  हावी हो जाएंगे और मनमुताबिक काम करवाने की कोशिश करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि संसद को लेकर सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों ही एक-दूसरे का सम्मान नहीं करते हैं.


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