RSS-BJP Tensions: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. लोकसभा चुनाव के समय से ही राजनीतिक गलियारों में इसकी चर्चा जोरों पर हैं. अब खुद आरएसएस इसकी पुष्टि करते हुए नजर आया है. संघ ने सोमवार (2 सितंबर) को माना कि बीजेपी और उसके बीच कुछ समस्याएं हैं, लेकिन उसने उन्हें 'पारिवारिक मामला' बताया. साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि विवाद की जो भी वजहें हैं, उन्हें बैठकर सुलझा लिया जाएगा. 


केरल में एक कार्यक्रम के दौरान आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर से बीजेपी और संघ के बीच समन्वय की कमी के बारे में पूछा गया. इस पर उन्होंने कहा, "आरएसएस के 100 साल पूरे हो रहे हैं. यह एक लंबी यात्रा है. लंबी यात्रा में कार्यात्मक मामले सामने आते हैं. हमारे पास उन कार्यात्मक मुद्दों को दूर करने के लिए एक मैकेनिज्म है. हमारी औपचारिक और अनौपचारिक मुलाकातें चलती रहती हैं. आप 100 साल का इतिहास देख लीजिए, यही इन सभी सवालों का जवाब है."


'पारिवारिक मामला है, सुलझा लिया जाएगा'- संघ


सुनील आंबेकर केरल के पलक्कड़ में तीन दिनों तक चले अखिल भारतीय समन्वय बैठक के आखिरी दिन मीडिया को संबोधित कर रहे थे. आंबेकर ने इस बात का भी संकेत दिया कि बैठक में समन्वय के मुद्दों और हाल के लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान के बाद आरएसएस कैडर के उत्साह में हुई कमी को लेकर भी चर्चा की गई. जेपी नड्डा ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि बीजेपी अब 'आत्मनिर्भर' हो चुकी है और उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं है. 


जेपी नड्डा के बयान को लेकर काफी ज्यादा घमासान मच गया था. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आंबेकर ने कहा, "अन्य मुद्दों को भी सुलझा लिया जाएगा. ये पारिवारिक मामला है. तीन दिवसीय बैठक हुई है और सभी ने भाग लिया है. सब कुछ ठीक चल रहा है." आरएसएस-बीजेपी मतभेद पर सवाल उठाते हुए आंबेकर ने एक बार भी दोनों संगठनों के बीच कथित समन्वय की कमी से इनकार नहीं किया. यह पहली बार है कि संघ ने खुले तौर पर स्वीकार किया है कि दोनों संगठनों के बीच कुछ खटपट है.


क्या बीजेपी को मिल रहे संघ प्रचारक? आंबेकर ने दिया जवाब


आरएसएस नेता ने कहा कि जहां तक लक्ष्यों का सवाल है, बीजेपी और आरएसएस दोनों का टारगेट एक ही है. उन्होंने कहा, "लंबी यात्राओं में एक बात हमेशा सुनिश्चित होती है, आरएसएस का अर्थ है राष्ट्र सर्वोपरी. हर एक स्वयंसेवक मानता है कि राष्ट्र सनातन है, शाश्वत है. भविष्य में इसके बढ़ने की संभावना है. इसलिए, हम सभी देश की सेवा के लिए समर्पित हैं. यह आरएसएस का मूल आधार है और बाकी चीजें महज कार्यात्मक मुद्दे हैं. हर संगठन इस पर विश्वास करता है और इसका अभ्यास करता है."


यह पूछे जाने पर कि क्या बीजेपी को संगठन स्तर पर पर्याप्त आरएसएस प्रचारक नहीं मिल रहे हैं? इस पर आंबेकर ने कहा, "बीजेपी में बहुत सारे आरएसएस स्वयंसेवक और प्रचारक हैं. यहां तक ​​कि अब भी, तो यह मुद्दा कैसे उठता है? किसी प्रचारक को कैसे और कहां रखना है, यह आरएसएस तय करता है. उसके लिए बहुत सारे मानदंड हैं. यह एक अच्छी तरह से प्रचलित प्रणाली है. कोई समस्या नहीं है."


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