नई दिल्ली: संघ ने नागरिकता संशोधन बिल को लेकर प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को धन्यवाद दिया है. गुरुवार को इस मामले पर पहली बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) ने आधिकारिक बयान जारी किया. बयान जारी करते हुए आरएसएस ने नागरिकता बिल को एक साहसिक कदम बताया.
संघ में सर संघचालक मोहन भागवत के बाद दूसरे नंबर के अधिकारी सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी ने अपने बयान में कहा कि नागरिकता संशोधन कानून लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत से पारित हुआ है, इस पहल और साहसिक कदम के लिए केंद्र सरकार का और विशेषत: प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का धन्यवाद है.
भैय्याजी जोशी का कहना था कि धार्मिक आधार पर ही विभाजन की मांग हुई थी, जबकि भारत की मानसिकता में इस तरह के धार्मिक राज्य की कल्पना नहीं है. लेकिन इसी मुद्दे पर देश का विभाजन हुआ और उस समय के देश के नेतृत्व ने इसे स्वीकार किया.
उन्होंने कहा कि अगर धर्म के आधार पर यह विभाजन न होता तो बाद में घटी तमाम तरह की घटनाएं शायद न होतीं. विभाजन के बाद ही पाकिस्तान और बांग्लादेश ने अपने आपको इस्लामिक राष्ट्र घोषित किया. उसी समय इस आशंका का जन्म हुआ कि वहां रहने वाले अल्पसंख्यकों का स्थान क्या होगा.
उन्होंने कहा कि उस समय दो सरकारों के बीच जो समझौता हुआ था, उसमें कहा गया था कि इस्लामिक स्टेट होने के बाद भी किसी अल्पसंख्यक समुदाय के साथ कोई भेदभाव या अन्याय नहीं होगा. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रूप से ऐसा नहीं हुआ और वहां बड़ी संख्या में रहने वाले हिंदू को यातनाओं का शिकार बनना पड़ा.