नागपुर: आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जिताने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 2014 की तर्ज पर ही मैदान में उतरेगा. साल 2014 में किंगमेकर साबित हुआ आरएसएस इस बार भी लोकसभा चुनाव के प्रचार मैदान में उतरेगा. पिछले समय संघ ने बीजेपी की कोई खुली वकालत नहीं की थी, लेकिन ज्यादा से ज्यादा लोगो को मतदान के लिए आवाहन कर सत्ता पलट दी थी.
संघ स्वयंसेवक इस बार भी लोकसभा प्रचार मैदान में उतरेंगे ये तय है, लेकिन इस बार सिर्फ शत प्रतिशत मतदान करना ही नहीं बल्कि इस बार संघ जनता के बीच जाकर उनसे नोटा का इस्तेमाल नहीं करने की अपील भी करेगा. सरसंघचालक मोहन भागवत कह चुके हैं कि नोटा का इस्तेमाल करके आप गलत आदमी को चुनने का मौका देते हैं.
पिछले विधानसभा चुनावों में संघ को इस बात का आभास था कि बीजेपी को नोटा की वजह से तीन राज्यों के चुनाव में नुकसान हो सकता है. मध्य प्रदेश के चुनाव में ये संघ का ये डर सच्चा साबित हुआ. कई स्वयंसेवक ये कहते हैं कि मध्य प्रदेश में बीजेपी को कांग्रेस ने नहीं बल्कि नोटा ने हराया था. संघ ने शत प्रतिशत मतदान के साथ-साथ नोटा के विरोध की मुहिम भी छेड़ दी है.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 22 जगहों पर जीत के मार्जिन से नोटा को मिले मत ज्यादा थे. कई जगहों पर आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी से ज्यादा मत नोटा को मिले थे. नोटा का मार्जिन जहां सबसे ज्यादा था, वहां सबसे ज्यादा 12 सीटें कांग्रेस ने जीती थी.
ऐसे में संघ प्रचार करेगा कि नोटा राष्ट्रीय हित में कैसे नहीं है? इसकी वजह से सबसे अनुचित व्यक्ति कैसे चुन के आता है? उसपर भी अपनी भूमिका रखेगा. संघ प्रचारक और स्वयंसेवक ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिलकर नोटा के बारे में अपनी बातें रखेंगे.
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