नागपुर: SC-ST एक्ट पर आए सुप्रीम के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों ने भारत बंद बुलाया था जिसका देशव्यापी असर नज़र आया. इस बंद की वजह से पांच लोगों को अपनी जानें गंवानी पड़ी, वहीं देशभर में 100 से ज़्यादा ट्रेनें देर से चल रही हैं. मामले पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक ने संगठन के अपने खिलाफ फैलाए जा रहे दुष्प्रचार पर कई ट्वीट करके सफाई दी है और कहा है कि संघ के नाम पर जो बातें फैलाई जा रही हैं वो सरासर गलत हैं.
संघ के सरकार्यवाह, भैया जी जोशी के नाम से किए गए पहले ट्वीट में लिखा गया है, "न्यायालय के निर्णय की आड़ में जिस प्रकार से संघ के बारे में विषैला दुष्प्रचार करने का प्रयास किया जा रहा है, वह आधारहीन व निंदनीय है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का न्यायालय के इस निर्णय से कोई संबंध नहीं."
आपको बता दें कि दलितों के भारत बंद पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर मोदी सरकार और आरएसएस पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है, ''दलितों को भारतीय समाज के सबसे निचले पायदान पर रखना RSS/BJP के DNA में है. जो इस सोच को चुनौती देता है उसे वे हिंसा से दबाते हैं. हजारों दलित भाई-बहन आज सड़कों पर उतरकर मोदी सरकार से अपने अधिकारों की रक्षा की माँग कर रहे हैं. हम उनको सलाम करते हैं.'' संभव है कि संघ की ये सफाई राहुल के ट्वीट के जवाब में ही आई है.
भैया जी के इन बयानों से जुड़े आगे के ट्विट्स में कहा गया, "जाति के आधार पर किसी भी भेदभाव अथवा अत्याचार का संघ सदा से विरोध करता है. इस प्रकार के अत्याचारों को रोकने के लिए बनाये गये क़ानूनों का कठोरता से परिपालन होना चाहिए. संघ समाज के सभी प्रबुद्ध लोगों से अनुरोध करता है कि समाज में परस्पर सौहार्द्र बनाये रखने में अपना योगदान दें एवं समाज भी किसी प्रकार के बहकावे में ना आते हुए परस्पर प्रेम एवं विश्वास बनाये रखते हुए किसी भी प्रकार के दुष्प्रचार का शिकार ना हों."
बयान में आगे कहा गया, "एस. सी. एस. टी. एट्रोसिटीज एक्ट के उपयोग पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आये निर्णय पर हो रही हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण है. न्यायालय के निर्णय की आड़ में जिस प्रकार से संघ के बारे में विषैला दुष्प्रचार करने का प्रयास किया जा रहा है, वह आधारहीन व निंदनीय है."
विवाद क्या है ?
सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद दलित समुदाय में नाराजगी है. सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताई थी. सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत की व्यवस्था दी. 7 दिनों के अंदर शुरूआती जांच पूरा करने का आदेश दिया है. दलित एक्ट के तहत गिरफ्तारी के लिए एसएसपी की अनुमति जरूरी कर दी गई. सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी के लिए उच्च अधिकारी की अनुमति जरूरी है. दलित संगठन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं.