Women Role In RSS: आरएसएस संगठन में बढ़ाना चाहता है महिलाओं की भूमिका, छात्राओं को जुटाने का लिया संकल्प
Rashtriya Swayamsevak Sangh: संघ का मत है कि उसने 1936 में ही राष्ट्र सेविका समिति का गठन कर दिया था, जिसमें केवल महिलाएं ही भाग लेती हैं. मौजूदा समय में इसमें लगभग दस लाख महिलाएं भाग लेती है
Women Empowerment In RSS: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) में महिलाओं की भूमिका को लेकर लंबे समय से प्रश्न खड़े किये जाते रहे हैं. संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे दिन सोमवार (17 अक्टूबर) को प्रयागराज (Prayagraj) में एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि आरएसएस संगठन के निर्णय लेने में महिलाओं की भूमिका (Role Of Women) बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगा. पदाधिकारी के अनुसार, अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक में दूसरे दिन चर्चा अपने सभी संबद्ध संगठनों में महिला कार्यकर्ताओं की भूमिका को बढ़ाने के तरीके खोजने पर केंद्रित थी.
आरएसएस पदाधिकारी ने कहा कि नेता इस बात से सहमत थे कि संगठन द्वारा किए जा रहे विभिन्न सामाजिक और वैचारिक कार्यों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि सामाजिक मुद्दों से जुड़े कार्यों को नगर स्तर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में विकास खंड स्तर तक उठाया जाएगा. इसके लिए अब आरएसएस की बैठकों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा. देशभर में आंगनबाड़ियों और स्वयं सहायता समूहों (SHG) की महिलाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने पर भी चर्चा हुई.
छात्राओं को जुटाने का लिया संकल्प
पदाधिकारी ने कहा कि आरएसएस ने भी संघ की गतिविधियों के लिए छात्राओं को जुटाने के प्रयासों को तेज करने का संकल्प लिया है. गौरतलब है कि 5 अक्टूबर को विजयादशमी के अवसर पर एक भाषण के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने निर्णय लेने की प्रक्रिया सहित समाज की सभी गतिविधियों में महिला ज्ञान, सशक्तिकरण और समान भागीदारी के महत्व पर जोर दिया था. भागवत, आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबले और राज्य के सभी 45 क्षेत्रों के कई शीर्ष पदाधिकारियों के साथ गौहानिया में आयोजित चार दिवसीय बैठक में भाग ले रहे हैं.
संघ में महिलाओं की भूमिका
गौरतलब है कि आरएसएस में लंबे समय से महिलाओं की भूमिका को लेकर सवाल खड़े किए जाते रहे हैं. आरएसएस के आलोचक अक्सर यह आरोप लगाते रहे हैं कि संघ अपने संगठन में देश की आधी आबादी यानी महिलाओं को कोई हिस्सेदारी नहीं देता है. संघ आलोचकों का आरोप है कि वहां महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं है. हालांकि, संघ के विशेषज्ञ हमेशा से ही इन आरोपों को निराधार बताते रहे हैं.
इन आरोपों के जवाब में संघ का मत है कि उसने 1936 में ही राष्ट्र सेविका समिति (Rashtra Sevika Samiti) का गठन कर दिया था, जिसमें केवल महिलाएं ही भाग लेती हैं. मौजूदा समय में इसमें लगभग दस लाख महिलाएं भाग लेती है और देश के अलग-अलग प्रांतों में इसकी शाखाएं चलाई जाती हैं. राजधानी दिल्ली में ही अकेले 70 महिला शाखाएं राष्ट्र सेविका समिति के जरिए संचालित की जा रही हैं.
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