नई दिल्ली: राज्यसभा में आज केंद्र सरकार के लिए बेहद अहम दिन है. लोकसभा से पास होने के बाद आज सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक राज्यसभा में चर्चा के लिए आएगा. सरकार की मंशा जहां इसे जल्द से जल्द पास करवाने की है तो वहीं विपक्ष इसके पीछे सरकार की नीयत पर ही सवाल उठा रहा है. कांग्रेस का कहना है कि संशोधन के जरिए सरकार आटीआई कानून को कमजोर करना चाहती है. चर्चा के दौरान विपक्ष इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग करेगा.


वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा, ''हमें लगता है कि आरटीआई कानून में जो संशोधन लाया जा रहा है उससे राज्य सरकारों के अधिकार पर भी असर पड़ रहा है. हमारी मांग है कि सूचना अधिकार (संशोधन) बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए." वहीं सराकर की ओर से इस बिल को लेकर खुलकर कुछ भी नहीं कहा जा रहा है.


राज्यसभा में नंबरों का खेल सरकार के लिए मुश्किल
दरअसल लोकसभा में सरकार के पास प्रचंड बहुमत है लेकिन राज्यसभा में नंबर गेम सरकार के पक्ष में नहीं है. मौजूदा समय में राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 240 है. इस नंबर के हिसाब से बहुमत के लिए 121 सांसद चाहिए लेकिन सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के पास कुल 114 सांसद ही है. वहीं विपक्षी गठबंधन यूपीए की बात तो यहां संख्या 64 है. अब सारा खेल अन्य पार्टियों के सांसदों पर निर्भर है जो ना एनडीए के साथ हैं और ना ही यूपीए के साथ. राज्यसभा में अन्य अलग अलग पार्टियों के कुल 62 सांसद हैं. इसके साथ ही पांच पद खाली है.


एनडीए, यूपीए और अन्य की बड़ी पार्टियों में कितने सांसद?
एनडीए की बड़ी पार्टियों की बात करें तो बीजेपी के 78, एआईएडीएमके के 13, जेडीयू के 6 और शिवसेना के 3 सांसद राज्यसभा में हैं. वहीं यूपीए की में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस है, जिसके 48 सदस्य राज्यसभा में मौजूद हैं. आरजेडी के पांच और फिर डीएमके है जिसके पास 3 सांसद मौजूद हैं. अन्य दलों की बात करें तो सबसे बड़ी पार्टी टीएमसी है जिसके 13 सांसद हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी है जिसके 12 सदस्य राज्यसभा में मौजूद हैं.


संशोधन के जरिए सूचना के अधिकार में क्या बदलाव करना चाहती है सरकार?




  • मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के कार्यकाल से लेकर उनके वेतन और सेवा शर्तें तक तय करने का अंतिम फैसला केंद्र सरकार ने अपने हाथ में रखने का प्रस्ताव किया है.

  • प्रस्तावित बिल आरटीआई कानून 2005 की धारा 13 और 16 में संशोधन कर रहा है. इस बिल में प्रस्ताव रखा गया है कि केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल जो अभी तक 5 साल या अधिकतम 65 साल की उम्र तक हो सकता था, अब इनके कार्यकाल का फैसला केंद्र सरकार करेगी.

  • धारा 13 में कहा गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त के वेतन भत्ते और सेवा की अन्य शर्ते मुख्य चुनाव आयुक्त के समान ही होंगे और सूचना आयुक्त के भी चुनाव आयुक्तों के समान ही रहेंगे.

  • वहीं धारा 16 राज्य स्तरीय मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों से संबंधित है. इसके तहत इन लोगों का कार्यकाल भी अधिकतम 65 साल की उम्र तक या 5 साल की जगह केंद्र सरकार ही तय करेगी. साथ ही इनकी नियुक्तियां भी केंद्र सरकार ही करेगी.